देहरादून (big news today)
उत्तराखंड में सरकार बनाने की तैयारी कर रही कांग्रेस चुनाव परिणाम आते ही विपक्ष में जा बैठी है। कहाँ तो कांग्रेस खुश थी कि इस बार बहुमत से सरकार बनाने जा रही है लेकिन चुनाव के नतीजे आये तो वर्ष 2017 में मिली 11 सीटों को दुगुना भी नहीं कर पाई और 19 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। चुनाव नतीजों से पहले कोंग्रेस में इस बात को लेकर दावेदारी हो रही थी कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा लेकिन चुनाव परिणामों के बाद इस बात पर लॉबिंग हो रही है कि नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा । विपक्ष के नेता की कुर्सी पर अब कांग्रेसी दिग्गजों की नजर टिक गई है।
चुनावी हार के गम में डूबी कोंग्रेस में नेता विपक्ष को लेकर मंथन होने लगा है। निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का गुट जहां इस कुर्सी पर अपना स्वाभाविक दावा बताते हुए अपनी पकड़ को मजबूत बनाना चाहता है , तो वही हरीश रावत अब प्रीतम सिंह और उनके समर्थकों के लिए कोई भी सॉफ्ट कॉर्नर रखने के मूड में नहीं हैं। प्रीतम सिंह के अलावा अब प्रमुख तौर पर वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य भी नेता प्रतिपक्ष के लिए एक प्रमुख दावेदार के तौर पर कांग्रेस के सामने हैं, इनके साथ ही धारचूला से तीन बार के विधायक हरीश धामी भी नेता प्रतिपक्ष के लिए दावा कर रहे हैं। सभी जानते हैं कि हरीश धामी के लिए हरीश रावत का सॉफ्ट कॉर्नर रहता है। और यशपाल आर्य और हरीश रावत के बीच भी अच्छी नजदीकियां बताई जाती हैं। यशपाल आर्य कांग्रेस में ऐसे नेता हैं जिनकी चाहे प्रीतम सिंह का गुट का कोई नेता हो या फिर कांग्रेस का कोई निर्गुट रहने वाले नेता हों, सभी नेताओं से यशपाल आर्य से बेहतर तालमेल वाले और सामान्य रिश्ते रहे हैं। ये बात यशपाल आर्य ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए और बाद में मंत्री रहते हुए साबित भी की है।
उत्तराखंड में गठित होने जा रही पांचवीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तय करने की राह भी कांग्रेस के लिए आसान नहीं रहने वाली है। निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का इस पद पर दावा स्वाभाविक रूप से मजबूत है, क्योंकि वे इस पद पर पहले से विराजमान हैं। लेकिन चुनाव में पार्टी की लगातार दूसरी बार हार के बाद पार्टी में मचे घमासान के बीच इस नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए भी नए दावेदार सामने आने लगे हैं। इसे प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के गुटों में बढ़ती खींचतान के परिणाम के रूप में देखा जा रहा है। रावत के खास समर्थकों में शुमार धारचूला से निर्वाचित विधायक हरीश धामी ने इस पद पर अपनी दावेदारी ठोक दी है। इनके अलावा वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य का नाम भी दावेदारों में लिया जा रहा है। यशपाल आर्य विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं, कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं और कई बार के मंत्री भी हैं। तजुर्बे और तगड़े प्रोफ़ाइल के कारण यशपाल आर्य के नाम की चर्चा भी हो रही है।
नेता प्रतिपक्ष का पद कांग्रेस को ही मिलना है। इस पद पर निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी पार्टी के भीतर मजबूत दावेदार हैं। राज्य बनने के बाद से अब तक एक भी चुनाव नहीं हारे प्रीतम सिंह पिछली दोनों कांग्रेस सरकारों में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
हरीश रावत और प्रीतम सिंह का कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता यानी नेता प्रतिपक्ष पद पर प्रीतम के स्वाभाविक दावे को पार्टी के भीतर ही चुनौती भी मिल रही है। दरअसल प्रीतम सिंह कांग्रेस की हार के लिए टिकटों के वितरण और कटौती पर सवाल खड़े कर चुके हैं। और हर के बाद जिस तरीके से पार्टी के अंदर प्रीतम सिंह खेमे और हरीश रावत गुट के बीच बयानबाजी हो रही है उससे नहीं लगता कि हरीश रावत इतनी आसानी से प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनने देंगे। पिछले दिनों जिस तरीके से कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखंड सहित अन्य प्रदेश अध्यक्षों का इस्तीफा लिया है, उससे साफ संकेत भी मिल रहे हैं कि हो सकता है कि नेता प्रतिपक्ष को बदलने का भी फैसला लिया जा सकता है। अब देखना होगा कि पार्टी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाने के लिए इस पद पर किसको जिम्मेदारी सौंपती है। यशपाल आर्य को जिम्मेदारी मिलती है, प्रीतम सिंह कंटीन्यू करते हैं या फिर हरीश धामी पर भरोसा जताया जाएगा। ये एक बड़ा सवाल है।