BIG NEWS TODAY : देहरादून। राज्य में वर्तमान में करीब 1700 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हो रहा है, जिसको बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने शहद महोत्सव आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही मुख्यमंत्री आवास में भी मधुमक्खी पालन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री आवास परिसर में मंगलवार को शहद निष्कासन कार्य किया गया। पहले चरण में 57 किलोग्राम शहद निकाला किया गया है। अकेले मुख्यमंत्री आवास से ही इस बार लगभग 200 किलोग्राम तक शहद के निकालने का लक्ष्य रखा गया।

उत्तराखंड को शहद उत्पादन के लिए एक मॉडल स्टेट बनाने के लिए कोशिशें तेज कर दी गई हैं। राज्य में रोजगार के साधन बढ़ाने के लिए लगातार कोशिशों के तहत अब मौन पालन यानी शहद उत्पादन को लेकर भी धामी सरकार ने रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
"उत्तराखंड में मौन पालन की अपार संभावनाएं हैं। राज्य में प्रचुर मात्रा में फूलों की प्रजातियां हैं, जो उच्च गुणवत्ता वाले जैविक शहद उत्पादन में सहायक हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में औषधीय गुणों वाला शहद तैयार करने के लिए लोगों प्रशिक्षण दिया जाए। मौन पालन को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए।" - पुष्कर धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने बी-कीपिंग कार्य को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लेते हुए शहद महोत्सव आयोजित करने के लिए उद्यान विभाग को निर्देश दिये गये। जिसमें मधुमक्खी द्वारा तैयार किए जाने वाले समस्त प्रोडक्ट महोत्सव में रखने और हर वर्ष शहद महोत्सव की एक तिथि भी निर्धारित करने को कहा गया। धामी सरकार ने मौन पालकों को सेब के बागीचों में मौन बक्से रखने के लिए प्रति बक्सा 350 रुपये से बढ़ाकर 750 रुपये प्रति बक्सा किया है।

अपर निदेशक उद्यान रतन कुमार बताते हैं कि इस योजना से शहद उत्पादन के व्यवसाय की तरफ पर्वतीय क्षेत्रों में भी लोगों का रुझान बढ़ रहा है। वर्तमान में राज्य में 6162 मौन पालक हैं और करीब 2.71 लाख मौन वंश कॉलोनियां का इस्तेमाल करके 1700 मीट्रिक टन शहद उत्पादन हो रहा है। उद्यान प्रभारी दीपक पुरोहित का कहना है कि मुख्यमंत्री आवास में भी उच्च कोटि का शहद प्राप्त हो रहा है।