फर्राटा भरने की होड़ से टूट रही जीवन की डोर, दुर्घटना में 76 फीसद का कारण तेज रफ्तार, तेज रफ़्तार पर कब पाएगी यातायात पुलिस क़ाबू?

Uttarakhand


देहरादून ( Report By- Faizan khan,faizy)

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सड़क हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। जहां बेकाबू ट्रकों ने अति मचा रखी है। आए दिन अनियंत्रित और अंधाधुंध तरीके से ट्रक चालकों द्वारा रोज कोई न कोई सड़क हादसे होते नजर आ रहे हैं। ट्रक चालको की नशे की हालत में अंधाधुंध चाल और बेकाबू स्थिति से आए दिन किसी न किसी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है।

भारत में दुनिया के एक फीसदी वाहन हैं पर सड़कों पर वाहन दुर्घटनाओं के चलते विश्वभर में होने वाली मौतों में 11 प्रतिशत मौत भारत में होती हैं।सड़क दुर्घटनाओं में दुनिया भर में होने वाली मौतों में भारत का हिस्सा 11 प्रतिशत है. देश में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं और हर चार मिनट में एक मौत होती है.”

इन घटनाओं में गलती आम जन की भी होती है जो नियम से अपने वाहन नहीं चलाते है ,गाड़ी चलाने के नियम तो पता होते है लेकिन उनका पालन करना नहीं आता है जिससे दुर्घटना का शिकार हो जाते है।

राजधानी देहरादून में आये दिन सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं रफ़्तार का कहर जारी हैं इसी के चलते आज ट्रक के कुचलने से हरिद्वार बाईपास पर एक स्कूटी सवार की मौक़े पर ही मौत हो गयी।कब लगेगा रफ़्तार विराम।

सड़क दुर्घटना से बचने के लिए जब लोगों को हेलमेट लगाने के लिए कहा जाता है या गाड़ी धीमे चलाने के लिए कहा जाता है तो यह कहते हुए आप की बातों को टाल देते हैं कि वह बहुत सावधानी पूर्वक सड़क पर गाड़ी चलाते हैं या फिर यह जवाब दते हैं कि उन्हें तेज भी चलानी है और गाड़ी पर कमांड करना /कंट्रोल करना आता है. इस तरह का जवाब सरासर मूर्खतापूर्ण होता है.

अगर ऐसे लोगों से कुछ इस तरह से पूछा जाये कि आप अपनी गाड़ी पर कंट्रोल कर सकते हैं. लेकिन अगर सामने वाला अचानक से गलती कर बैठे तो उसके लिए आप के पास क्या विकल्प होता है तो फिर ऐसे लोगों के पास कोई जवाब नहीं होता है।

ऐसे ही लोग होते है जो खुद के जान को जोखिम में तो डाल ही रहे हैं और उन व्यक्तियों को नुक्सान पहुँचा रहे हैं जो गाड़ी चलाते समय सुरक्षा के नियमों का पालन कर रहे हैं।

हम उस स्थानों पर भी लोगों को ट्रैफिक के नियम को तोड़ते हुए दखते हैं जहाँ ट्रैफिक पुलिस खड़ी होती है. जबकि यह नहीं होना चाहिए. यह सुरक्षा के नियमों में ढील देने के कारण होता है या फिर अगर कानून है तो उसका पालन नहीं होता है, बस इसलिए की यातायात पुलिस ऐसे गलती करने वालों को फाइन करने में तत्परता नहीं दिखाती है.

सरकार को चाहिए की ऐसे यातायात के नियम तोड़ने वालों को दण्डित करने का कड़ा कानून लाये और अगर है तो यातायात पुलिस से इसके प्रति जवाब माँगे कि उसने अपने स्पॉट पर ड्यूटी के दौरान कितने लोगों को दंडित किया हैं या फिर कितने लोगों की गाड़ी को जब्त किया है या चालान किया है , जो यातायात के नियमों का उल्लंघन करते हैं।

इन निम्न बिंदुओं पर पुलिस प्रशासन को सख़्ती करने की है ज़रूरत-

बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाने वाले से सख्ती से निपटा जाए।

बिना हेलमेट पहने गाड़ी चलाने पर सख़्ती से कार्यवाही हो, और डबल हेलमेट का नियम लागू हो-

तेज रफ़्तार वालों पर लगे विराम , ट्रैफ़िक पुलिस को रफ़्तार पर क़ाबू करने की है ज़रूरत।

जागरूकता के प्रति अभियान –

लोगों को समय-समय पर अभियान चला कर लोगों के इसके प्रति जागरूक करना चाहिए. जब तक यातायात पुलिस आगे बढ़ कर इसके प्रति जागरूकता अभियान नहीं चलाएगी तब तक सड़क दुर्घटना पर विराम लगाना आसान नहीं होगा।

और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक यह बात पहुंचाए. लोगों में जागरूकता लाने का यह सबसे अच्छा माध्यम हो सकता है. यह सड़क दुर्घटना को रोकने में भी अहम् भूमिका निभा सकता है क्योकि सभी लोग यातायात के नियमों को पालन करने के प्रति जागरूक होंगे।