देहरादून ( Report By- Faizan khan Faizy)
24 अक्टूबर यानी की आने वाले सोमवार को देश दीपावली का त्योहार मनाएगा. आज धनतेरस है बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है. बड़ी संख्या में लोगों को खरीदारी करते हुए देख विक्रेताओं के चेहरे पर खुशी है।कोरोना महामारी के चलते पिछले साल दिवाली कुछ ख़ास नहीं रही , लेकिन इस साल लोग खूब उत्साहित है और दिवाली धूमधाम से मनाने के लिए तैयार है।
इस दिवाली पर पर ऐसे में विक्रेताओं को उम्मीद है कि खरीदारी के लिहाज से ये दिवाली महत्वपूर्ण रहने वाली हैं. त्योहारी सीजन में व्यापारी वर्ग खुश है।
दिवाली को लेकर देहरादून के बाजार रोशन हो गये हैं. देहरादून में इस वक्त बाजार खरीदारों से भरे हुए हैं. राजधानी के बाजारों में काफ़ी संख्या में भीड़ देखने को मिल रही है. देहरादून के पलटन मार्केट में लोगों की भीड़ ने दुकानदारों की दिवाली को खास बना दिया है।
दुकानदार प्रिंस कपूर ने बताया कि इस दिवाली बाजार में चीनी सामान भी बिक रहा है, लेकिन अब वो लोगों को महंगा लग रहा है।जगमगाते दीये के साथ झालर व लड़ियाँ दीपावली पर घर को एक अलग ही रूप देती है। इस बार बाजार में मेड इन इंडिया सामान की अधिक मांग है। मार्केट में 20 रुपये से 850 रुपये तक की इंडियन एलईडी लड़ियां मौजूद हैं। सबसे ज्यादा धूम इलेक्ट्रिक इंडियन लैंप, दीये, लेजर लाइट, लडिय़ां, लट्टू, लटकन और झूमर की है।
दीये बैच रही राखी देवी ने बताया कि दीपावली दीयों का त्योहार है, इसी उम्मीद के साथ हम दीये बैच रहे है, उम्मीद है कि इस बार मिट्टी के दीए ज्यादा बिकेंगे। इससे हमारी दीपावली भी पहले से बेहतर रहेगी।और दीये बेचने वालों को रोज़गार भी मिलेगा।
पटाखें बैच रहे दुकानदार सागर आहुजा के मुताबिक बमों की मांग इस साल कम हुई है। पिछले साल के मुताबिक़ इस साल पटाखों के रेट महँगे है , जो पटाखा पिछले साल 20रुपये में मिल जाता था वो इस साल 40रुपये में मिल रहा है ।
पटाखों में अनार, फुलझड़ी, मुर्ग़ा छाप,बड़ी वाली चटाई, आसमान में रोशनी आवाज करने वाले आइटम ज्यादातर ग्राहक मांगते हैं।
ग्रीन पटाखों की माँग इस साल बड़ी है क्योकि ग्रीन पटाखों से पर्यावरण दूषित नहीं होगा।लोग ग्रीन पटाखों के लिए भी जागरूक हो रहे है।लेकिन देहरादून में ग्रीन पटाखे राजधानी में कम मात्रा में उपलब्ध है।
पटाखे ख़रीद रहे ग्राहक दिव्यम ने बताया कि इस बार पटाखे महंगे हैं। पिछले साल ढाई हजार रुपये में काफी पटाखे आ गए थे। इस बार तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा। अभी देख रहे हैं। पटाखे तो खरीदने ही हैं।