देहरादून
कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह का कहना है कि जिस दिन से हरिद्वार में हुई धर्म संसद के माध्यम से समाज में घृणा पैदा करने, समाज को बांटने और आपसी सौहार्द को ठेस पहुँचाने का कार्य हुआ है, कांग्रेस पार्टी उसी दिन से इस तरह के कृत्य का विरोध करती आ रही है। प्रेस को जारी एक बयान में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा है कि पहले भी पार्टी की तरफ से बयान जारी करते हुए कार्रवाई की मांग की गई थी जिसके तुरंत बाद ही धर्म संसद में मौजूद लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड हाईकोर्ट को नोटिस भेजकर यह संकेत दे दिया है कि यह देश संविधान से चलता है और संविधान से बड़ा कुछ नहीं है। संविधान हमें एक धर्मनिरपेक्ष देश बताता है यहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है और राज्य का कोई धर्म नहीं होता। डॉ. प्रतिमा ने कहा कि जिस तरह से पिछले 7 सालों में सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए धर्म एवं जाति के नाम पर लोगों को आपस में लड़ाने का कार्य किया है वह स्पष्ट करता है भाजपा की सोच घृणा से भरी है और वह कभी भी सकारात्मक राजनीति नहीं कर सकते।
संविधान आपको अभिव्यक्ति की आजादी देता है, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी किसी भी धर्म या जाति को नीचा दिखाने के लिए अगर कोई व्यक्ति इस्तेमाल करता है तो कानून अपना काम करने से पीछे नहीं हटेगा।
कांग्रेस प्रवक्ता डॉ प्रतिमा ने ये भी कहा है कि रायपुर में जब धर्म संसद हुई और सन्त कालीचरण के द्वारा अपमानजनक शब्द राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को बोले गए उन पर त्वरित कार्रवाई करते हुए छत्तीसगढ़ की सरकार ने कालीचरण की गिरफ्तारी भी की। यह दोनों घटनाएं एक फर्क साफ स्पष्ट कर देती है कि कौन सी पार्टी सकारात्मक राजनीति और विकास की राजनीति पर भरोसा करती है और कौन सी पार्टी सिर्फ विनाशकारी राजनीति और तोड़ो की राजनीति पर भरोसा करती है। जिस तरह से उत्तराखंड सरकार और पुलिस प्रशासन आरोपियों को बचाने में लगा हुआ था उच्चतम न्यायालय ने पूरा मामला अपने हाथ में लेकर सब की कलई खोलने का कार्य किया है।