“बेहतर होता प्रधानमंत्री लोगों के जख्मों पर मरहम लगाते…लोगों का भावनात्मक शोषण के लिए हिमाचली चोला-डोरा पहना गया”: राजीव महर्षि

Uttarakhand


देहरादून।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा केदारनाथ धाम में हिमाचल प्रदेश के लोक परिधान पहनने को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने तीखी आलोचना की है।

महर्षि ने आज जारी बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को उत्तराखंड आए तो केदारनाथ दर्शन के लिए थे लेकिन उन्होंने हिमाचल प्रदेश के लोक परिधान चोला – दौरा और हिमाचली टोपी को पहना। महर्षि ने इसे विशुद्ध राजनीतिक नौटंकी बताते हुए कहा कि यदि प्रधानमंत्री को उत्तराखंड से इतना ही स्नेह है तो उन्हें यहां का लोक परिधान पहनना चाहिए था लेकिन यहां चुनाव नहीं हो रहे हैं, चुनाव हिमाचल में हो रहा है, इसलिए लोगों का भावनात्मक शोषण के लिए हिमाचली चोला – डोरा पहना गया। एक बयान जारी करके राजीव महर्षि ने कहा कि आस्था कोई प्रदर्शन का विषय नहीं है बल्कि यह हृदय और अंतःकरण का विषय है, इसमें परिधान का प्रदर्शन मात्र भौंडी मानसिकता का परिचय है। महर्षि ने सवाल किया कि यदि हिमाचली परिधान का प्रधानमंत्री को इतना ही शौक था तो बदरीनाथ धाम में वह परिधान क्यों उतार फेंक दिया गया?
उन्होंने कहा कि अध्यात्म के साथ राजनीति की नौटंकी स्वीकार्य नहीं होती। यह काठ की हांडी एक बार चल सकती थी, उसे बार बार नहीं चढ़ाया जा सकता। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय जब हिमाचल प्रदेश में मतदान होना था, तब भी प्रधानमंत्री मोदी ने यही प्रहसन किया था, उस समय लोगों ने आत्मीयता समझ कर उसे स्वीकार कर लिया था, लेकिन हर बार नौटंकी सफल नहीं होती। लोग कमरतोड़ महंगाई, भीषण बेरोजगारी, भर्ती घोटाले, नौकरियों की बंदरबांट, अंकिता भंडारी हत्याकांड जैसे सरकार के तमाम कुकृत्यों से त्रस्त हैं। बेहतर होता प्रधानमंत्री इन मुद्दों पर मुंह खोलते और जनसाधारण को न्याय का भरोसा दिलाते लेकिन इनमें से किसी भी मुद्दे का उन्होंने जिक्र तक नहीं किया। ऐसा नहीं हो सकता कि उन्हें किसी मुद्दे की जानकारी ही न हो लेकिन अपनी सरकार की विफलता, कुशासन और भ्रष्टाचार के बारे में मौन रह कर प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड की जनता को बेहद निराश किया है, उल्टे जनता का भरोसा खो चुकी धामी सरकार की पीठ थपथपा गए, यह बेहद निराशाजनक है।