देहरादून ( Big News Today)
देश मे भूदान ग्राम दान के जनक आचार्य विनोबा भावे की जयंती पर सर्वोदय मंडल देहरादून के तत्वाधान मे श्रद्धा सुमन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस मौके पर हरबीर सिंह कुशवाहा, डॉ विजय शंकर शुक्ला,अशोक कुमार, यश वीर आर्य, कुसुम रावत , शैलेन्द्र भंडारी,राजेंद्र कुमार, रसाइली जी,रश्मि पैनूली, नीरू शर्मा,ने विनोबा भावे से संबंधित प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए।
”आचार्य विनोबा भावे” को गाँधी जी का अध्यात्मिक उत्तराधिकारी माना जाता है. लेकिन गाँधी जी उनको अपना मार्गदर्शक मानते थे. गाँधी जी कहते थे कि वे मेरे आश्रम को अपने पुण्य प्रताप से सींचने आये हैं. वे कुछ लेने नहीं बल्कि देने आये हैं. वास्तव में गाँधी और विनोबा एक दूसरे के पूरक थे.
गाँधी जी के ‘सर्वधर्म समभाव’ पर विनोबा जी को छोड़कर कोई जीता जागता व्यक्तित्व दुनिया में नहीं है. विनोबा जी का जीवन सादगी, प्रेम और करुणा का जीता-जागता आईना है. विनोबा जी ने गीता, वेदांत, धम्मपद, जैन दर्शन, कुरान, बाइबिल पर अद्भुत भाष्य लिख कर सभी धर्मों में समन्वय की कोशिश की. गाँधी वांग्मय और हिन्द स्वराज पर विनोबा ने गंभीर टिप्पणी की है कि सच्चा प्रजातंत्र कैसा होना चाहिये
“हम किसी भी देश-विशेष के अभिमानी नहीं।
किसी भी धर्म-विशेष के आग्रही नहीं।
किसी भी संप्रदाय या जाति-विशेष में बद्ध नहीं।
विश्व में उपलब्ध सदविचारों के उद्यान में विहार करना,
यह हमारा स्वाध्याय है।
सदविचारों को आत्मसात करना, यह हमारा धर्म।