विधानसभा भर्ती: उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच के अध्यक्ष आरसी पांडेय बैठे उपवास पर, बोले कि “विधानसभा अध्यक्ष में साहस है तो अवैध नियुक्ति करने वालों पर करें एफआईआर।”

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देहरादून- (Big News Today) उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कार्मिकों के समर्थन में ‘उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चंद्र पांडे 48 घंटे का उपवास करते हुए धरने पर बैठ गए हैं। आरसी पांडेय विशेष तौर पर हल्द्वानी से कर्मचारियों को समर्थन देने के लिए देहरादून पहुंचे हैं। उनके साथ विधानसभा से बर्खास्त महिला कार्मिक कविता फर्त्याल तथा सरस्वती कठैत भी 48 घंटे के उपवास पर बैठ गई हैं।

धरना स्थल पर संकल्प स्वरूप एक दीप भी जलाया गया, जो उपवास जारी रहने तक अखंड रूप से जलता रहेगा।
उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चंद्र पांडे ने कहा कि विधानसभा में राज्य निर्माण के उपरांत 22 सालों तक हुई भर्तियों की जांच में अवैध पाई गई सभी 396 नियुक्तियों में से 168 कर्मचारियों को विधानसभा के अंदर रखना तथा शेष 228 कर्मचारियों को बाहर करने की कार्यवाही सवालों के घेरे में है। विधानसभा जैसी सर्वोच्च पीठ में, जहां नियम और कानून बनते हैं वहां इस तरह की भेदभावपूर्ण कार्यवाही करना तथा संवैधानिक व्यवस्थाओं की अनदेखी करना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

पांडे ने कहा कि विधानसभा से बर्खास्त कार्मिकों के मामले की उन्होंने गहन समीक्षा की है, मामला अभी माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, कोर्ट से संबंधित प्रक्रिया पर अभी टिप्पणी करना उचित नहीं है लेकिन हमें पूरा भरोसा है कि माननीय न्यायालय से इन कर्मचारियों को न्याय अवश्य मिलेगा।
उन्होंने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि यह नियुक्तियां अवैध है तो इसमें कहीं से भी कर्मचारियों का कोई दोष नहीं है, यदि दोष है तो उन लोगों का है जिन्होंने इन्हें नियुक्त किया। अवैध कृत्य करने वाले आज सत्ता में बड़े-बड़े पदों पर बैठे हुए हैं और गरीब कर्मचारियों को मरने के लिए सड़क पर छोड़ दिया गया है। विधानसभा मे हुई जिन अवैध नियुक्तियों को लेकर राज्य में भूचाल आया है, अगर विधानसभा अध्यक्ष में यदि दूध का दूध और पानी का पानी करने का साहस है तो उन नियुक्तियों को करने के लिए जो लोग असली दोषी हैं उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर कार्यवाही करके दिखायें ।
इस बीच कार्मिकों ने धरना स्थल पर जबर्दस्त नारेबाजी की और घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए जैसे जन गीत गाकर विधानसभा सचिवालय प्रशासन को चेतावनी देते हुए उन्हें बहाल करने की मांग की।
उपवास पर बैठी महिला कार्मिक कविता फर्त्याल और सरस्वती कठैत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष जी बार-बार कोटिया कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कह रही हैं कि 2001 से लेकर 2015 के बीच नियुक्त कार्मिकों का तथा 2016 के उपरांत नियुक्त कार्मिकों का मामला बिल्कुल अलग है, जबकि सच यह है कि कोटिया कमेटी ने 2001 से 2022 तक की सभी नियुक्तियों को एक समान माना है। हमने इस कमेटी की रिपोर्ट का पूरा अध्ययन कर लिया है और वह फर्क हमें कहीं भी नजर नहीं आया। यदि कोई फर्क है तो विधानसभा सचिवालय को जनता के सामने रखना चाहिए।
इस अवसर पर बर्खास्त कार्मिक शिवचरण डबराल, कपिल धोनी, अजीत मेहता भगवती सानी, दीप्ति पंत, मिनाक्षी ,किरन, पूनम अधिकारी, अमित रावल, मुकेश पंत,मनीष भगत, आशीष शर्मा, कौशिक भैय्या, प्रदीप कुंजीपटल, हेमन्त जोशी, कुलदीप सिंगवाल , गिरीश बर्गली, अनिल नैनवाल, मौजूद थे।