देहरादून
प्रसिद्ध भजन गायक नरेंद्र चंचल के निधन पर देहरादून में भी शोक मनाया जा रहा है। ‘चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है’ से दुनियाभर में प्रसिद्धि पाने वाले नरेंद्र चंचल पिछले वर्ष 9नवंबर 2019 को देहरादून में कुछ दिन के दौरे पर आये थे। माता के भक्त चंचल ने नेहरू कॉलोनी सनातन धर्म मंदिर और रेसकोर्स में माता की चौकी भजन संध्या और कार्यक्रम में उपस्थिति दी थी। भजन गायक नरेंद्र चंचल पिछले 3 महीनों से बीमार थे और उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
देहरादून की नेहरू कॉलोनी में रहने वाले भजन गायक त्रिवेश छतवाल की आंखे चंचल के चले जाने से नम हैं। नरेंद्र चंचल को गुरु मानकर त्रिवेश छतवाल बचपन से भजन और माता की भेंट गाते चले आये हैं। पिछले वर्ष नरेंद्र चंचल देहरादून प्रवास पर रहे तो चंचल की सेवा में रहने का भजन और माता की भेंटे गायक त्रिवेश छतवाल को भी अवसर मिला। गुरु नरेंद्र चंचल की सेवा के समय को याद करते हुए त्रिवेश भावुक हो जाते हैं और कहते हैं कि जो कुछ सीखा है वो चंचल से ही सीखा है।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने भी भजन गायक नरेंद्र चंचल के देहांत पर दुःख व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने लिखा है कि
कौन थे नरेंद्र चंचल!
कई प्रसिद्ध भजनों के साथ-साथ चंचल ने हिंदी फिल्मों में कई गाने भी गाए हैं। फ़िल्म बेनाम का गाना ‘यारा ओ यारा, मैं बेनाम हो गया’ गाना बहुत प्रसिद्ध हुआ था। भजन गायकी में चंचल एक खास स्थान रखते थे बॉलीवुड में उनका सफर राज कपूर के साथ शुरू हुआ. फिल्म ‘बॉबी’ में उन्होंने ‘बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो’ गाया था इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में गाने गाए, लेकिन उन्हें पहचान मिली फिल्म आशा में गाए माता के भजन चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया हैं, से जिसने रातों रात चंचल को मशहूर बना दिया।
नरेंद्र चंचल का जन्म 16 अक्टूबर 1940 को अमृतसर में एक धार्मिक पंजाबी परिवार में हुआ था। वह एक धार्मिक माहौल में पले-बड़े हुए, जिसकी वजह से उनको भजन कीर्तिन गाने का शुरू से ही शौक था।