मदरसों में आधुनिक शिक्षा की जुमलेबाज़ी कर रही भाजपा : राजीव महर्षि

Dehradun Uttarakhand


देहरादून, बिग न्यूज़ टूडे: उत्तराखंड कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने कहा की कांग्रेस पर हमेशा से अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण का आरोप लगाने वाली भाजपा आज लंबी छलांग लगाते हुए उनके तृप्तिकरण पर उतर आई है। यह भाजपा के दोहरे चरित्र का पैमाना बन गया है। उन्होंने भाजपा नेता और उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स का मदरसों को आधुनिक बनाने के विचार पर उन्हें शुभकामना देते हुए कहा कि यदि वास्तव में शादाब ईमानदारी से बात कर रहे हैं तो वे उन्हें शुभकामना देना चाहेंगे लेकिन उनकी और उनकी पार्टी भाजपा के ट्रेक रिकॉर्ड को देखते हुए इन पर भरोसा करना कठिन है। महर्षि का कहना है कि शादाब शम्स द्वारा अल्पसंख्यकों समुदाय के बच्चों के लिए आधुनिक शिक्षा की बात महज हवा हवाई है। सच तो यह है कि शादाब शम्स की कार्यक्षमता और इच्छाशक्ति किसी से छिपी नहीं है। ये लोग केवल जुबानी जमाखर्च कर गाल बजाने की कला में माहिर हैं, सिर्फ और सिर्फ जुमले उछालना ऐसे लोगों की फितरत को प्रदेश की जनता बखूबी जानती है।
राजीव महर्षि ने कहा कि पिछले आठ वर्ष से हम देखते आ रहे हैं कि भाजपा केवल शिगूफा छेड़ती है और इनके जुमलों पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते आठ साल से मुसलमान बच्चों के एक हाथ में कुरान और एक हाथ में लैपटॉप का जुमला उछालते आ रहे हैं और आज उसी रिकॉर्ड को शादाब शम्स बजा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लाख टके का सवाल यह है कि भारी भरकम संसाधनों वाला वक्फ बोर्ड प्रदेश में सिर्फ सात मदरसों में ही क्यों आधुनिक शिक्षा शुरू करने का प्रयोग करना चाहते हैं जबकि उनके अधीन सौ से अधिक मदरसे हैं। इससे उनकी प्रतिबद्धता जाहिर हो जाती है। शादाब को पता है कि वे अपने मंसूबे में सफल नहीं हो सकते, इसलिए सिर्फ सात मदरसों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की बात कर रहे हैं, वह भी अगले शिक्षा सत्र से। महर्षि ने चुनौती देते हुए कहा कि यदि शादाब शम्स को अपनी काबिलियत और हुनर पर भरोसा है तो क्यों नहीं वक्फ बोर्ड के अधीन तमाम मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर देते जबकि नए शिक्षा सत्र के लिए अभी पर्याप्त समय है किंतु वह ऐसा करना नहीं चाहते, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय को सिर्फ भरमाना चाहते हैं।यह निर्विवाद सत्य है कि भाजपा का वास्तव में ऐसा कोई इरादा है नहीं, वे सिर्फ चर्चा में बने रहने के लिए इस तरह की जुमलेबाजी कर रहे हैं। इन लोगों का अल्पसंख्यकों की बेहतरी से कोई मतलब नहीं है। यदि ऐसा होता तो बीते आठ साल में इसके नतीजे सामने आए होते।