देहरादून। (Big News Today) विधानसभा और सचिवालय की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था को ताक पर रखते हुए नौकरी के झाँसेबाजो ने विधानसभा में फर्जी नियुक्ति पत्र देकर हरियाणा के एक युवक को कुछ दिन ड्यूटी भी करवा दी। ये सनसनीखेज मामला पीड़ित की शिकायत पर सामने आया है। सचिवालय में तैनात सहायक निजी सचिव समेत 6 पर एक युवक को नौकरी के नाम पर ठगने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है। विधानसभा में नौकरी का झांसा देकर युवक से 25 लाख रुपए की ठगी की गई है।

मामला हरियाणा के सोनीपत के एक युवक के साथ हुआ हैै। जिसे पहले तो हरियाणा पुलिस में लगाने की बात कह कर ठगने का प्रयास किया गया। फिर बाद में उसको उत्तराखण्ड विधानसभा में नौकरी का झांसा देकर 25 लाख रुपए ऐंठ लिए गए। जिसमें रोहतक की सुमन, उसके पति जितेन्द्र, बेटे व बेटी और देहरादून की मोनिका जो कि उत्तराखंड सचिवालय में (एपीएस- सहायक निजी सचिव ) व नवनीत शामिल है।
ऐसे फंस गए ठगी करने वालों के जाल में: सोनीपत के जटवाडा निवासी कूलदीप खत्री ने पुलिस को बताया कि रोहतक के सांघी गांव में उसकी मौसी रोशनी रहती है। मौसी के पड़ोस में रहने वाली एक महिला की बहन सुमन रोहतक के गांव गिझी की है। मौसी के जरिये वह सुमन और उसके पति जितेंद्र को जानते थे। दोनों ने उसके पुत्र कुशल खत्री को हरियाणा पुलिस में नौकरी लगवाने का झांसा दिया।
नौकरी का झांसा देकर हड़प लिए 25 लाख रुपये: शिकायतकर्ता कुलदीप खत्री ने पुलिस को बताया कि जितेंद्र के बेटे-बेटी ने उससे सांघी गाव में आकर नवंबर 2021 में दो बार में दो लाख रुपये, मार्च 2022 में तीन लाख रुपये, जून 2022 में पांच लाख रुपये लिए थे। इसके अलावा सितंबर 2022 तक उन्होंने 11 लाख रुपये ऐंठ लिए। नौकरी मिलने में देरी होने पर उन्हें शक हुआ तो अपने रुपये वापस मांगे। तब जितेन्द्र व अन्य ने उसे उत्तराखण्ड में देहरादून निवासी नवनीत व मोनिका से मिलवाकर उत्तराखंड विधानसभा में नौकरी लगवाने का झांसा दिया।
अपर निजी सचिव मोनिका भी शामिल, विधानसभा में ड्यूटी भी करवाई: ठगों के हौसले इतने बुलंद रहे कि शिकायतकर्ता कुलदीप के बेटे कुशल खत्री को 7 जून को फर्जी ई-मेल के माध्यम से यह बताया गया कि उत्तराखंड विधानसभा में नौकरी के लिए उसका आवेदन स्वीकार कर लिया गया है। उसके बाद एक और मेल के माध्यम से कुशल खत्री को यह बताया कि उनकी विधानसभा में नियुक्ति हो गई है। इसके बाद 13 जून को कुशल खत्री को देहरादून विधानसभा बुलाया गया जहां उसकी मुलाकात मोनिका से हुई। मोनिका ने 20 जून को कुशल खत्री को निदेशालय पहुंचकर जॉइनिंग लेटर लेने के लिए कहा और फर्जी नियुक्ति पत्र और शासन से जारी आई कार्ड दिया गया । इतना ही नहीं, बताया गया है कि कुशल खत्री को कई दिन तक विधानसभा सचिवालय में काम भी कराया गया और उसके बाद बहाने बनाकर बाहर कर दिया गया।