देहरादून ( Report by: Shabnoor )
लॉक डाउन के दौरान घर के बाहर अनावश्यक जाना मना है। ऐसे में आपका समय घर में व्यतीत होना मुश्किल भी हो रहा होगा। लोग अपने अपने तरीके से समय व्यतीत कर रहे हैं। कुछ लोग किचन गार्डन विकसित करके भी अपना समय व्यतीत कर रहे होंगे। जिनके घर छोटे हैं और मिट्टी का आंगन नहीं है उनके लिए छतों पर गमलों या प्लास्टिक बैग में फल सब्जियां उगाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ऐसे ही किचन गार्डन के शौकीनों से आइये आज आपको मिलवाते हैं डॉ. माया वी. सक्सेना से।
डॉ. माया सक्सेना पेशे से फिजियो थेरेपिस्ट हैं और एक प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना हैं। नेशविला रोड पर रहने वाली डॉ. माया सक्सेना के पति डॉ. अमरदीप एक फिजिशियन हैं। किचन गार्डन की शौकीन माया सक्सेना अपने पेशे और घर की जिम्मेदारियों से समय निकालकर अपने किचन गार्डन का शौक भी पूरा करती हैं और करेले से लेकर तरबूज़ तक गमलों में उगाया लेती हैं। उनके किचन गार्डन की अलग-अलग समय की आपके लिए यहां कुछ तस्वीरें भी हम दिखा रहे हैं।
डॉ. माया सक्सेना हालांकि कई वर्षों से घर की छत पर गमलों और प्लास्टिक बैग में फल और सब्जियां उगा रहीं हैं लेकिन पिछले वर्ष से इस वर्ष भी लॉक डाउन के दौरान घर पर रहने का ज़्यादा समय मिलने से उन्हें अपने किचन गार्डन के शौक में कुछ एक्सपेरिमेंट करने का भी अवसर मिला है। डॉ. माया सक्सेना कहती हैं कि खेत में या घर के मिट्टी के आंगन में फल या सब्जियां उगाना उतना मुश्किल काम नहीं होता जितना गमलों और प्लास्टिक बैग में छत पर उगाना होता है।
किचन गार्डन के लिए सबसे पहले तो ये जानकारी होनी बहुत ज़रूरी होती है कि किस मौसम या किस महीने में कौन सी सब्ज़ी और फल की पौध लगाई जाएगी या बीज बोए जाएंगे। इसके साथ ही पौधों में खाद पानी और तापमान का संतुलन बनाये रखना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसी संतुलन पर पौधों की सेहत और फल एवं सब्जी का उत्पादन और क्वालिटी निर्भर होती है। क्योंकि छतपर गमलों में पौधों को तापमान काफी प्रभावित करता है।
गमलों में पानी की सही मात्रा भी ज़रूरी होती है ताकि ना तो पौधे सूखे ही और नाही ज्यादा पानी से गलने या खराब ही होने लगें। यानी खेत या आंगन की मिट्टी में किचन गार्डन विकसित करने से कहीं ज़्यादा चुनौतीपूर्ण होता है छत पर गमलों में किचन गार्डन विकसित करना।
गमलों या प्लास्टिक बैग में सब्ज़ी उत्पादन
डॉ. माया सक्सेना के घर में खुला मिट्टी का आंगन नहीं है इसलिए उन्होंने छत पर ही किचन गार्डन विकसित किया है। अपने घर की छत पर मिट्टी और प्लास्टिक के गमलों के अलावा प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल भी करती हैं जोकि आजकल काफी प्रचलन में हैं।
माया अपने किचन गार्डन में हरी मिर्च, धनिया, पुदीना, पालक, बथुआ, निम्बू, मूली, शलगम, धनिया, गाजर, खीरा ककड़ी, टमाटर, आलू, प्याज़, अदरक, लहसून, हल्दी, पत्ता गोभी, फूल गोभी, लौकी, कद्दू, तौरी, बैंगन, भिंडी, सेम फली, बीन्स, करेला, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां उगा लेती हैं।
गमलों और प्लास्टिक बैग में फल उत्पादन
डॉ. माया सक्सेना का गमलों और प्लास्टिक बैग में फलों को उगाने के अच्छा अनुभव है। गमलों में वे निम्बू प्रजाति के फल तो उगाती ही हैं, साथ ही चीकू, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, ख़रबूज़ा, तरबूज़ भी उगा लेती हैं। और अब पपीता भी लगाया है।
किचन गार्डन में उगाए गए इन फलों की खुशबू और स्वाद भी लाजवाब होता है। अधिकतर सब्जियों के मामले में ऐसा बहुत कम ही होता है कि इस डॉक्टर्स फैमिली को हरी सब्जियां बाज़ार से खरीदनी पड़ती हैं।
किचन गार्डन में वो जैविक खाद का इस्तेमाल करती हैं। जो बहुत ही आसान होता है बस जरूरत इस बात की है कि किचन गार्डन को हरभरा करना है तो इसकी तरफ ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।
और थोड़ी सी गार्डनिंग की समझ की भी जरूरत पड़ती है। जैसा कि ऊपर कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बताया गया है।
आपको जानकर ताज्जुब होगा कि माया के किचन गार्डन में फल और सब्जियों के अलावा फूलों की बहार भी रहती है। उनको तरह तरह के सीजनल फूलों का भी बहुत शौक है। और अपनी व्यस्त दिनभर के काम मे वे किचन गार्डन के लिए जरूर शेड्यूल से समय निकालती हैं।