देहरादून ( report by: faizy)
प्रदेश में तीर्थ पुरोहितों की ओर से देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने की मांग के बीच पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बार फिर दोहराया है कि यह बोर्ड उत्तराखंड और देवस्थलों के भले के लिए बनाया गया है। इसे भंग करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इसके अलावा भू-कानून बनाने की मांग पर उन्होंने कहा कि जो लोग इसकी मांग कर रहे हैं, उन्हें पहले इसका प्रारूप सामने रखना चाहिए।
पर्वतीय जिलों के दौरे से देहरादून लौटे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर कुछ लोगों ने ठान रखी है कि इसका विरोध करना है। यह बोर्ड उत्तराखंड और देवस्थलों के हित में है। राज्य के लोगों को अपने स्तर पर भी इसका आकलन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी बदरी-केदार मंदिर समिति कार्य कर रही थी। यह समिति देश की आजादी से पहले अधिनियम के तहत संचालित हो रही थी। अब जो लोग देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे हैं, उन्हें आगे आकर यह बताना चाहिए कि उन्हें बोर्ड के बनने से क्या नुकसान हुआ है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि जब एक्ट बन जाता है तो इसे सरकारें ऐसे ही वापस नहीं लेती हैं। ऐसे तो लोग रोज विरोध करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया के करोड़ों हिंदु हमारे देवस्थलों के दर्शन करने आना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर ऑल वेदर रोड, रेलवे कनेक्टिविटी, एयर कनेक्टिविटी में जबरदस्त सुधार हुआ है। देश की सबसे बेहतर एयर कनेक्टिविटी उत्तराखंड में बढ़ी है। क्या ये छोटी-छोटी समितियां यहां आने वाले लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं को उच्च स्तरीय सुविधाएं और सुरक्षा की गारंटी दे पाएंगी।