देहरादून ( Big News Today)

दिल की बीमारियां अब बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही। गतिहीन जीवन शैली और मोटापा, तनाव और जंक फूड के सेवन अदि जैसे कारकों के कारण युवाओं में भी हृदय संबंधी समस्याएं अधिक होती जा रही हैं।
विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर) से पूर्व मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, देहरादून ने लोगो को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने और प्रेरित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।

भारत में हर साल कार्डियोवैस्कुलर बीमारी (सीवीडी) से 17.5 मिलियन से अधिक मौतों होती है। आज का यह जागरूकता कार्यक्रम लोगो को अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने और जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया ताकि वे लंबे, बेहतर और स्वस्थ हृदय के साथ अपना जीवन जी सकें।
कार्यक्रम में एसोसिएट डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून डॉ प्रीति शर्मा ने कहा कि भारत के 12 शहरों में किए गए एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि 70 प्रतिशत से अधिक शहरी भारतीय आबादी हृदय रोग से किसी न किसी प्रकार से प्रभावित हैं। इस वर्ष विश्व हृदय दिवस की थीम है – ‘सभी के लिए स्वास्थ्य हृदय’। इसी लिए हम चाहते हैं कि विश्व हृदय दिवस का यह संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे ताकि हर किसी के लिए कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद मिल सके।
एसोसिएट डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून डॉ योगेंद्र सिंह ने बताया कि “हृदय रोग (सीवीडी) दुनिया भर में होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। सीवीडी के दो सबसे आम प्रकार है कोरोनरी हृदय रोग (दिल का दौरा पड़ने वाले) और सेरेब्रोवास्कुलर रोग (स्ट्रोक के लिए अग्रणी कारक) हैं। विकासशील देशो में हृदय रोग पुरे विश्व का 80% से अधिक पाए जाते है । एक अनुमान के अनुसार कि 2023 तक, चीन में सीवीडी से होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 40 लाख प्रति वर्ष और भारत में लगभग 50 लाख हो जाएगी। पिछले कुछ वर्षों में, हृदय की समस्याओं से पीड़ित युवा रोगियों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है।
एसोसिएट डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून डॉ पुनीश सदाना ने बताया कि हमारी ओपीडी में हृदय संबंधी समस्याओं के साथ आने वाले अधिकांश रोगी युवा हैं और इनके मुख्य कारण हानिकारक जीवनशैली की आदतें हैं जैसे धूम्रपान, शराब पीना, अत्यधिक फास्ट-फूड का सेवनतथा व्यायाम न करना है।
अस्वस्थ आहार और शारीरिक निष्क्रियता के कारण लोगों में बढ़ा हुआ रक्तचाप, बढ़ा हुआ रक्त शर्करा, बढ़ा हुआ रक्त लिपिड और अधिक वजन तथा मोटापे के रूप में दिखाई देता है। जिनको इन्हें ‘मध्यवर्ती जोखिम कारक’ या मेटाबोलिक जोखिम कारक कहा जाता है।
सीनियर कंसल्टेंट और हेड-सीटीवीएस डॉ रवि कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि लगभग 32 मिलियन भारतीय हृदय रोग से पीड़ित हैं। हृदय रोगों का खतरा कोई नया नहीं है। यह वर्षों से हो रहा है, जिससे हमें हमारे जटिल जीवन शैली विकल्पों के हर विवरण पर सोचना पड़ रहा है । कोरोनरी धमनी रोग, उच्च रक्तचाप, मोटापा, मधुमेह और रूमेटिक हृदय रोग के कारण भारत में हृदय गति रुकने का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। जीवन शैली की आदतों को यदि प्रारंभिक अवस्था में बदल दिया जाए तो व्यक्ति के हृदय और स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ सकता है।