समीक्षा: “सपा की चौधराहट हुई तार-तार, जनता ने दलों को छोड़ निर्दल पर किया भरोसा”- मुकेश सिन्हा की कलम से

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मुस्लिम बाहुल्य नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र में सपा को करारा झटका

नजीबाबाद, साहनपुर व जलालाबाद में निर्दलीय प्रत्याशी बने चेयरमैन

बीजेपी द्वारा नजीबाबाद में जिताऊ संभावना वाले वसीम कुरैशी को टिकट ना देना भी लोगों की समझ मे नहीं आया

जबकि भाजपा के दो मुस्लिम प्रत्याशी साहनपुर एवं जलालाबाद में नहीं कर पाए कोई चमत्कार

तीनों चेयरमैन अपनी शाख बचाने में रहे विफल

सपा के सिम्बल नकारे जाने से सपा के विधायक की प्रतिष्ठा हुई प्रभावित ‌
मुकेश सिन्हा, समीक्षक एवं वरिष्ठ पत्रकार

नजीबाबाद (Big News Today) नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र में दो दशक से चल रही सपा की चौधराहट को आम और जागरूक मतदाताओं ने तार तार कर दिया। विधानसभा व निकाय चुनाव में वोटों के ठेकेदार भी बदलाव व सत्ता के प्रति आक्रोश के चलते अपने गढ़ व घर को नहीं बचा पाए। नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र में नजीबाबाद नगर पालिका व साहनपुर व जलालाबाद नगर पंचायत परिषद में कोई भी वर्तमान चेयरमैन अपनी शाख नहीं बचा पाया।‌ इन चुनाव में आम व जागरूक मतदाताओं ने राजनैतिक दलों से किनारा कर इस बार‌ निर्दलीय प्रत्याशियों पर विश्वास जताया है।

नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य है, विधानसभा व निकाय चुनाव में सपा का सिम्बल जीत की गारंटी माना जाता रहा है। नजीबाबाद क्षेत्र से सपा के वर्तमान विधायक हाजी तसलीम अहमद स्वयं लगातार दस वर्ष तथा दस वर्ष मौअज्जम खान एडवोकेट व उनकी पत्नी साबिहा निशात सपा के सिम्बल पर जीत दर्ज कर चुके हैं।‌

इस चुनाव में मौअज्जम खान एडवोकेट ने चुनाव में जीत के भरोसे ही सपा से अपना निकट करा लिया था लेकिन सपा विधायक हाजी तसलीम अहमद ने ऐन वक्त पर सपा के पूर्व नगर अध्यक्ष हाजी फैसल को सपा का सिम्बल एलाट करा दिया। सपा से टिकट कटने से निवर्तमान अध्यक्ष मौअज्जम खां व सपा विधायक हाजी तसलीम अहमद के बीच दूरियां बढ़ गई। मौअज्जम खां ने अपने समर्थकों को मशवरा बैठक कर उनकी राय पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडने का निर्णय लिया। विधायक ने सपा प्रत्याशी हाजी फैसल को चुनाव लड़ाया। निर्दलीय प्रत्याशी मौअज्जम खां ने दमदार चुनाव लड़ा वह बदलाव की बयार व‌ सपा से आम मतदाताओं का मोह भंग होने के कारण स्वयं तो चुनाव नहीं जीत सके हां सपा प्रत्याशी हाजी फैसल को हराने में कामयाब हो गए। चुनाव में आप से अबरार‌ अहमद, बसपा से महबूब , निर्दलीय मौज्जम खान व एआईएमआई से गुलजार अहमद‌ के रहते मुस्लिम मतों के बिखराव की संभावना के बीज भाजपा का युवा चेहरा नकुल‌ अग्रवाल अकुशल चुनाव प्रबंधन, गुटबाजी व कम मतदान के चलते इस चुनाव को कैश नहीं कर पाए और दूसरे स्थान पर रहकर एक बड़े अंतर से ‌चुनाव हार गये।

इंजीनियर मौज्जम खान पहले नजीबाबाद विधानसभा सीट से पूर्व में बसपा के टिकट पर चुनाव लडने की तैयारी कर चुके थे लेकिन उनका टिकट काट दिया था तबसे उन्होंने बसपा को अलविदा कह कर हज पर जाने वाले लोगों की सेवा में समय लगा दिया। अपने सामाजिक कार्यों, राजनीतिक पहचान के आधार पर नजीबाबाद निकाय चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और बदलाव की बयार व नगर के विकास की संभावनाओं पर भरोसा कर सभी वर्ग ने उन्हें जीत दिलाई। इस जीत से निवर्तमान अध्यक्ष मौअज्जम खां विधायक हाजी तसलीम अहमद की तरह अपने परिवार की हैट्रिक बनाने से वंचित रह गए।‌

कस्बा साहनपुर में पूर्व पालिकाध्यक्ष खुर्शीद मंसूरी को भी सपा सरकार से किनारा कराने में सपा विधायक भी भूमिका रही। निवर्तमान विधायक मेराज अहमद सपा का सिम्बल‌ पाने में कामयाब रहे तब पूर्व पालिकाध्यक्ष खुर्शीद मंसूरी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और अपने कार्यकाल में कराते विकास कार्यों व करोना काल में की समाजसेवा के आधार पर जीत दर्ज की।

यहीं कहानी कस्बा जलालाबाद की रही। वहां पूर्व चेयरमैन खलील अहमद के भाई ने अपनी पत्नी को भाजपा से टिकट दिलाकर जीत के भरोसे चुनाव लड़ा लेकिन हार देखनी पड़ी। पूर्व चेयरमैन के पति लियाकत ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाकर चुनाव लड़ा लेकिन सफल नहीं हुए। जबकि पूर्व चेयरमैन याकूब राईन ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी पुत्र वधू को चुनाव लड़ाया और सफलता पाई। याकूब राईन स्वयं,उनकी पत्नी के बाद अब पुत्र वधू रुमाना चेयरमैन बनी।

कुल मिलाकर निकाय चुनाव में आम शहरी व परम्परागत मतदाताओं ने सपा प्रत्याशियों को नकार दिया जिससे सपा विधायक हाजी तसलीम अहमद की प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई है। आगामी विधानसभा चुनाव में नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र में सपा के सिम्बल से चुनाव लड़ना खतरे से खाली नहीं है। नजीबाबाद नगर पालिका में बीस वर्ष व विधानसभा क्षेत्र में सपा के सिम्बल से लगातार दो बार विधायक देने के बाबजूद नगर व देहात में विकास होना भी बदलाव का एक कारण माना जा रहा है।

एक बात और महत्वपूर्ण है कि भाजपा ने नजीबाबाद नगरपालिका सीट पर मुस्लिम मतों को पाने के लिए मजबूत दावेदार वसीम कुरेशी को टिकट नहीं दिया जबकि साहनपुर में तासीम राईन व जलालाबाद में पूर्व चेयरमैन खलील राईन के भाई की पत्नी फिरोजा पर‌ दाव खेला मगर तीनों ही निकाय चुनाव में भाजपा को निराशा ही हाथ लगी।