यूपी चुनाव: मुरादाबाद की कांठ सीट पर भाजपा – सपा की आमने – सामने की टक्कर तय मानी जा रही है।

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file photo: कांठ का रेलवे स्टेशन

कांठ/मुरादाबाद (रिपोर्ट: कलीम अंसारी)

जनपद की उपनगरी तहसील काँठ -25 आगामी विधानसभा चुनाव में सपा- भाजपा प्रत्याशी के बीच कड़ी टक्कर होने के आसार नज़र आ रहे हैं। हालाँकि अनेक विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रत्याशी मैदान में अपना भाग्य आज़मा रहे हैं। इस क्षेत्र में लगभग 3 लाख 88 हज़ार से कुछ अधिक मतदाता है , यहाँ 16 विस चुनाव हो चुके है , काँठ विधानसभा का गठन 1956 में हुआ और 1957 में पहली बार चुनाव हुआ । कांठ सीट पर भाजपा ने इस बार 2022 के चुनाव में फिर से सिटिंग विधायक राजेश कुमार (चुनूँ बाबू) को टिकट दिया है ।

वहीं सपा ने पूर्व विधायक हसनपुर पूर्व मंत्री कमाल अख़्तर को टिकट दिया है । पूर्व विधायक अनिसुर्ररहमान सैफ़ी का सपा हाईकमान ने टिकट काट दिया । टिकट कटने से सैफ़ी काफी तिलमिलाए लेकिन सपा प्रत्याशी कमाल अख्तर के मनाने पर मान गए, सूत्रों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी सैफी से फोन पर बात करके नाराजगी दूर करने को कहा था। इस सीट पर कांग्रेस से इसरार अहमद प्रत्याशी हैं। काँठ विधानसभा से औवोसी की पार्टी AIMIM से अकबरपुर निवासी ज़िला पंचायत सदस्य रईस मलिक पार्टी उम्मीदवार होंगे । बसपा से पूर्व विधायक चौधरी रिज़वान अहमद खां के पुत्र चौधरी आफाक खां को टिकट दिया गया है। सभी प्रत्याशी डोर – टू डोर चुनावी कन्वेसिंग में देखे जा सकते है।

आपको बता दें कि कांठ सीट से सबसे पहले कुँवर जेपी सिंह निर्विरोध विधायक बने थे। वर्ष 1962 में दाऊद दाऊ दयाल खन्ना विधायक चुने गये और 1967 में जनता ने कांग्रेस की हैट्रिक नही बनने दी । 1969 में निवर्तमान विधायक के पिता स्व- चौधरी नौनियाल सिंह, 1974 में भारतीय क्रांति दल से स्व- चौधरी चंद्रपाल सिंह विधायक चुने गये थे। 1977 में जनता पार्टी की हवा चली तो मास्टर चौधरी हरगोविंद सिंह और वर्ष 1980 में मुकेश महेश्वरी के पिता रामकिशन महेश्वरी एमएलए निर्वाचित हुए थे। वर्ष 1985 में चौधरी समरपाल सिंह विधायक बने । 1989 में जनता दल लहर में चौधरी चंद्रपाल सिंह तो 1991 में श्रीराम मंदिर की लहर में चौधरी ठाकुर पाल सिंह बने, और 1993 में महबूब अली ( जनता पार्टी ) विधायक बने । 1996 में हिंदुत्व लहर में चौधरी राजेश कुमार अबतक निवर्तमान विधायक जोकि वर्तमान में उम्मीदवार है। चुनावी विश्लेषकों की माने तो क्षेत्र में भाजपा – सपा की सीधी टक्कर नज़र आ रही है। कहते हैं कि राजनैतिक हालात बदलते देर नही लगती, बसपा प्रत्याशी अफ़ाक अली एंव AIMIM प्रत्याशी रईसुद्दीन मलिक राजनीतिक उलट फेर करने में सक्षम सियासी खिलाड़ी माने जाते हैं। देखना होगा कि इस बार किसकी हार-जीत के चुनावी नतीजे सामने आते हैं।