देहरादून (Big News Today)
उत्तराखंड जलनिगम में हर महीने समय पर वेतन मिलना कर्मचारियों को कमाल जैसा लग रहा है, क्योंकि पिछले कई वर्षों से वेतन हर महीने मिलना तो दूर बल्कि 3-4 महीने का वेतन और पेंशन का बैकलॉग चलता रहता था। यहां तक कि पिछले वर्षों में कई बार होली-दीवाली जैसे पर्वों पर भी वेतन लटकने से कर्मचारियों को मुख्यालय में धरना तक देना पड़ा था। इस महीने भी दीवाली से पहले ही जलनिगम में सभी को वेतन मिल गया यानि एक महीने का भी वेतन का बैकलॉग नहीं है जोकि जलनिगम में लंबे समय बाद देखने को मिला है। माना जा रहा हैं कि ये पेयजल सचिव नितेश झा, प्रबन्ध निदेशक एवं अपर सचिव उदयराज सिंह और मुख्य अभियंता एससी पंत की तिकड़ी के कारण सम्भव हुआ है। आइए आपको विस्तार से जानकारी देते हैं।
दरअसल, उत्तराखंड पेयजल निगम के खर्चे उस पैसे से पूरे होते हैं जो पैसा निगम को मिली योजनाओं के पूरा होने पर परसेंटेज के रूप में मिलता है, जिसको निगम में ‘सेंटेज’ के रूप में संबोधित किया जाता है। ये योजना की धनराशि का 12.5℅ होता है। ये सेंटेज का पैसा योजनाओं के पूरा होने पर निगम द्वारा बाकायदा सर्टिफिकेट देकर क्लेम करना पड़ता है। निगम के जानकार सूत्रों का कहना है कि पिछले वर्षों में निगम में योजनाओं के पूरा होने की कई बार चाल सुस्त रही तो कई बार शासन की उदासीनता से सेंटेज क्लेम की फाइल देर से सरकती थी, इसलिए नतीजा वेतन रुकने, पेंशन और अन्य खर्चों के रुकने के रूप में सामने आता था इसके लिए धरने भी होते थे।
बताते हैं कि जब से आईएएस अफसर उदयराज सिंह को एमडी बनाया गया है और एससी पंत प्रमोशन पाकर चीफ इंजीनियर बने हैं तबसे व्यवस्था सुधार और योजनाओं को तेजी से पूरा करने पर जोर दिया गया है। ताकि वेतन और अन्य खर्चों के लिए पैसे की दिक्कत ना हो। हालांकि अभी वेतन रेगुलर अपडेट रहने के बावजूद करीब 100 करोड़ रुपये की पिछले वर्षों की देनदारी चुकाना निगम प्रबंधन के लिए एक चुनौती है।
जानकार बताते हैं कि जलनिगम निगम स्तर प्रबन्ध निदेशक के रूप में उदयराज सिंह और मुख्य अभियंता एससी पंत योजनाओं को तेजी से पूरा करके फ़ाइल तैयार कर शासन को भेजने में तत्परता दिखा रहे हैं वहीं शासन में सचिव नितेश झा भी निगम का सेंटेज जारी करने में देरी को बर्दाश्त नहीं कर रहे हैं। मुख्य तौर पर जलजीवन मिशन के तहत इस वर्ष निगम के पास करीब 4हज़ार करोड़ की योजनाएं हैं साथ ही इससे अलग भी करीब एक हज़ार करोड़ की योजनाएं हैं। अगर सभी योजनाएं पूरी होने का लक्ष्य हासिल कर लिया जाए तो जलनिगम पर पैसे की दिक्कत नहीं होगी।
जलनिगम के मुख्य अभियन्ता (मुख्यालय) एससी पंत का कहना है कि “प्रबन्ध निदेशक के मार्गदर्शन में व्यवस्था सुधार की कोशिश की गई थी उसके परिणाम सामने आने लगे हैं, इसमें सबसे बड़ा योगदान हमारे फील्ड की ड्यूटी में तैनात इंजीनियर्स का है। योजनाओं का मासिक लक्ष्य हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है इससे वेतन समय पर मिलने से अधिकारियों-कर्मचारियों में एक उत्साह भी बना रहता है। सचिव पेयजल के निर्देशन और प्रबन्ध निदेशक के मार्गदर्शन में योजनाएं पूरी हो रहीं हैं। इससे लगता है कि जल्द ही बाकी की देनदारियां भी जल्दी चुकाने की स्थिति में जलनिगम आ जायेगा। अभी 200 से अधिक जेई निगम को मिले हैं लेकिन सहायक अभियंताओं की भारी कमी बनी हुई है।”
उत्तराखण्ड पेयजल निगम अधिकारी-कर्मचारी समन्वय समिति के अध्यक्ष जेएस देव कहते हैं कि “निसंदेह वर्तमान समय में विभागीय सचिव, प्रबन्ध निदेशक और मुख्य अभियंता के अच्छे समन्वय और कोशिशों से हालात सुधरते हुए दिख रहे हैं, अभी योजनाएं भी अच्छी मिल रहीं हैं और काम भी तेज करने पर सभी का जोर है, समय पर वेतन मिलने से कर्मचारी का काम के प्रति उत्साह बना रहता है जोकि बेहतर परफॉर्मेंस के लिए बेहद जरूरी होता है।”
उत्तराखंड पेयजल निगम डिप्लोमा इंजीनियर संघ के अध्यक्ष रामकुमार का कहना है कि “अब कुछ महीनों से रेगुलर वेतन प्राप्त हो रहा है जोकि उत्साहजनक और सराहनीय है। इससे वेतन को लेकर समस्या का समाधान हुआ है। लेकिन अभी निगम प्रबंधन को कर्मचारियों के सातवें वेतनमान का HRA बढ़ाने , और कुछ बकाया एरियर आदि के भुगतान पर भी विचार करना चाहिए। जो बेहतर स्थिति बनी है वो आगे भी बनी रहे इसी पर भविष्य की स्थिति टिकी हुई है।”