देहरादून ( Big News Today)
वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी के हाथ में फिर से उत्तराखंड वन विभाग की कमान आ गई है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उत्तराखंड सरकार ने दोपहर करीब डेढ़ बजे उनके चार्ज संभालने के आदेश जरी किए। जिसके बाद भरतरी को प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) पद पर दोबारा चार्ज दिया गया।
दरअसल, हाईकोर्ट ने सरकार को मंगलवार सुबह 10 बजे तक राजीव भरतरी को प्रमुख वन संरक्षक का पदभार सौंपने के निर्देश दिए थे। इसके बाद सरकार की उलझन बढ़ गई थी। आज महावीर जयंती पर सरकारी छुट्टी है। ऐसे में यह पहेली बनी हुई थी कि छुट्टी के दिन भरतरी को हॉफ की कुर्सी पर बैठाया जाएगा या नहीं।
वन विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारी भी सुबह से ही मुख्यालय पहुंच गए थे। राजीव भरतरी का कहना है कि वह हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उन्हें दोबारा चार्ज दिया गया है।
आईएफएस विनोद कुमार सिंघल को बनाया था हॉफ
21 फरवरी को कैट इलाहाबाद की नैनीताल स्थित सर्किट बेंच ने राजीव भरतरी को प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) के पद से हटाए जाने और उनके स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को नियुक्त किए जाने के मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला भरतरी के पक्ष में दिया था।
कैट ने भरतरी का तबादला करने के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को उन्हें तत्काल प्रभाव से उसी पद पर बहाल करने के आदेश दिए थे। इसके बाद 21 मार्च को सरकार की ओर से भी कैट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई, जिसे कैट ने निरस्त कर दिया। यह सरकार के लिए दूसरा बड़ा झटका था। इसके बाद पीसीसीएफ सिंघल की ओर से कैट में व्यक्तिगत रूप से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई, लेकिन उन्हें भी कोई राहत नहीं मिल पाई। कैट के तीन आदेश के बाद सरकार की ओर से इस मामले में शीघ्र निर्णय लिए जाने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अब जब हाईकोर्ट ने भरतरी को हॉफ की कुर्सी सौंपे जाने के स्पष्ट आदेश दे दिए हैं, ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार इस मामले में अपना रूप स्पष्ट करते हुए कोई आदेश जारी करेगी। लेकिन देर रात तक भी असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। उधर, इस मामले शासन का रुख जानने के लिए प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु से कई बार संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।
ये था मामला
मामले के अनुसार आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी ने याचिका दायर कर कहा था कि वह भारतीय वन सेवा के राज्य के सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं, लेकिन सरकार ने 25 नवंबर 2021 को उनका स्थानांतरण प्रमुख वन संरक्षक पद से जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष पद पर कर दिया था, जिसे उन्होंने संविधान के खिलाफ माना। इस संबंध में उन्होंने सरकार को चार प्रत्यावेदन दिए, लेकिन सरकार ने इन प्रत्यावेदनों पर कोई सुनवाई नहीं की। राजीव भरतरी ने कहा कि उनका स्थानांतरण राजनीतिक कारणों से किया गया है, जिसमें उनके सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।