देहरादून ( Big News Today ) उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर आंशिक स्टे देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भूमिधरों को अपनी भूमि में बाढ़ से जमा हुई गाद एवं अन्य गौण खनिज का केवल स्वयं अपने लिए उपयोग की अनुमति प्रदान की है। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के उस आदेश पर आंशिक स्टे दिया है जिसमें हाईकोर्ट ने उत्तराखंड गौण खनिज (रियायत) नियमावली 2001 में संशोधन संबंधित शासनादेश को खारिज कर दिया था। गौरतलब है कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने दिनांक 26.09.2022 के आदेश द्वारा उस अधिसूचना दिनांक 28.10.2021 को रद्द कर दिया जिसमें उत्तराखंड गौण खनिज (रियायत) नियमावली 2001 के नियम 3 को उत्तराखंड गौण खनिज (रियायत) (संशोधन) नियमावली 2021 द्वारा संशोधित किया गया था। भूमिधरों को उनकी अपनी भूमि से वर्षा के दौरान बाढ़ के बाद जमा हुई गाद/कचरा एवं अन्य गौण खनिजों को हटाने का लाभ देने के लिए नियमों में संशोधन किया गया था।
जनहित में राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। जोकि विशेष अनुमति याचिका 16 मई के लिए सूचीबद्ध की गई थी जिस पर आज सुनवाई हुई। मामले के महत्व को देखते हुए, प्रभावी पैरवी के लिए उत्तराखंड सरकार ने मुकुल रोहतगी सीनियर एडवोकेट की सेवाएं ली।
मुकुल रोहतगी ने आज न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश के समक्ष मामले की पैरवी की। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिवादी को नोटिस जारी करते हुए हाईकोर्ट द्वारा पारित आक्षेपित आदेश पर आंशिक रोक भी लगा दी। सर्वोच्च न्यायालय ने भूमिधरों को केवल स्वयं के उपयोग के लिए उक्त गतिविधियों को अपनी भूमि में करने की अनुमति दी है।