आम बजट से ग़ायब दिखे उत्तराखंड के सरोकार- गरिमा महरा दसौनी

Uttarakhand


देहरादून Big News Today

आज वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किये गये आम बजट अत्यन्त निराश करने वाला रहा। यह कहना है उत्तराखण्ड गढवाल मण्डल मीडिया प्रभारी गरिमा महरा दसौनी का। दसौनी ने कहा कि एक तरफ जहॉ सुरसा का रूप ले चुकी मंहगाई पर रोक लगाने या उसे कम करने का कोई दृष्टिकोण बजट में नही दिखाई पडा जबकि आम जनता बहुत बेसब्री से इस बात का इंतजार कर रही थी कि केन्द्र सरकार से उसे किसी न किसी रूप में मंहगाई से निजात मिलेगी। परन्तु उसके हाथ घोर निराशा ही आयी।
दसौनी ने कहा कि आई0एल0ओ0 (इंटरनेशनल लेबर औरग्नाईजेशन) के आंकडो के अनुसार देश की बेरोजगारी दर दिसम्बर 2021 में 7.91 प्रतिशत दर्ज की गयी है। जो कि एक डरावना आंकडा है। दसौनी ने कहा कि निकट भविष्य में भी इस आंकडे में कोई कटौती होते नही दिखती। आई0एल0ओ0 के अनुसार देश की बेरोजगारी खौफनाक और खुंखार रूप से बढ़ रही है। जिसके लिए इस बजट में कही से कही तक कोई राहत मिलती नही दिखती। दसौनी ने कहा कि गौरतलब बात यह है कि सरकार की मनरेगा के प्रति उदासीनता दुर्भाग्यपूर्ण है। मनरेगा के बजट में कोई इजाफा न किया जाना ग्रामीण आर्थिकी की कमर तोड़ने जैसा है। दसौनी ने कहा आज जब लोग कोरोना वैश्विक महामारी के बाद गांव का रूख कर रहे हैं ऐसे में मनरेगा योजना ही उनके लिए संकट मोचक सिद्ध हो सकती है। लेकिन सरकार का मनरेगा को लेकर भी दूरदर्शिता इस बजट में नजर नही आयी।
दसौनी के अनुसार 2014 में जब सरदार मनमोहन सिंह की सरकार देश में थी तो इनकम टैक्स का स्लेब 2 लाख पर छोडकर गयी। 2015 में मोदी सरकार ने 50हजार की मामूली बढोत्तरी इसमें कर के इसे 2.50लाख किया। परन्तु ऐसा दिखाई पडता है कि 2015 के बाद मोदी सरकार इंनकम टैक्स स्लैब में बढोत्तरी करना भूल कुम्भकरण की नींद में सो गयी।
दसौनी ने कहा कि आज जिस तरह देश में मंहगाई, बेरोजगारी और गरीबी से आम जनता त्रस्त है उसे देखते हुए देश में इनकम टैक्स के स्लेब को 5 लाख किये जाने की जरूरत थी।
हां अलबत्ता पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कॉरपोरेट सेक्टर के टैक्स में जरूर तब्दीलियां की गई

दसौनी ने कहा कि यदि उत्तराखण्ड की बात की जाए तो उत्तराखण्ड की झोली एक बार फिर खाली ही रही। उत्तराखण्ड की जनता से केन्द्र सरकार के नेताओं ने बारबार वायदे और दावे करने के अलावा धरातल पर कुछ नही किया। उत्तराखण्ड से लगातार औद्योगिक पैकेज विशेष राज्य के दर्जे की मांग के साथ साथ ग्रीन बोनस की मांग प्रमुखता से उठायी गयी। परन्तु नतीजा सिफर ही रहा दसौनी ने कहा कि उत्तराखण्ड 70प्रतिशत वन अछादित प्रदेश है ऐसे में पर्यावरण के क्षेत्र में उत्तराखण्ड का योगदान अतुलनीय है। दसौनी ने कहा अतिशोकती नही होगी यदि कहा जाए कि उत्तराखण्ड पूरे उत्तर भारत को ऑकसीजन कवर देने का काम करता है। उत्तर भारत के लोग यदि स्वच्छ हवा में सांस ले पाते हैं तो वह उत्तराखण्ड की बदौलत है। ऐसे में केन्द्र सरकार को चाहिए था कि वह उत्तरखण्डवासियों को कॉम्पनशेशन के तोर पर ग्रीन बोनस मुहैया कराये। दसौनी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के कई विकास कार्य शीर्फ इसलिए अवरूद्ध हो जाते हैं क्योंकि कभी एन0जी0टी0 तो कभी वन विभाग पर्यावरण की दुहाई देकर एन0ओ0सी0 नही देते।

दसौनी ने आगे कहा कि राज्य आज बहुत ही विकट आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है ऐसे में राज्य का दूरिज्म सेक्टर या सर्विस सेक्टर उसे बहुत आस केन्द्र के बजट से थी परन्तु उनके सपनों पर भी पानी फिर गया। दसौनी ने कहा कि पर्वतीय राज्य होने की वजह से रेल कनेक्टीविटी की मांग भी राज्य लगातार उठ रही थी उस पर भी कोई ठोस निर्णय केन्द्र सरकार ने नही लिया।
दसौनी ने कहा कुल मिलाकर केन्द्र सरकार का बजट घोर निराशा और उत्तराखण्ड के साथ सौतेला व्यवहार करने वाला बजट है। न इसमें प्रदेश के युवाओं के लिए न महिलाओं के लिए न किसानों के लिए न कर्मचारियों के लिए और न ही व्यापारियों के लिए कोई आस दिखाई पडती है।