जलालाबाद/बिजनौर (Big News Today)

निकाय चुनाव की बिसात बिछ चुकी है और सियासी शतरंज के खिलाड़ी अपनी-अपनी चौकड़ी जमाने के लिए इधर-उधर कसमसा रहे हैं, कि आख़िर चौसर पर पांसा फेंके तो फिर वो सटीक दिशा में जाकर गिरे जिससे चौकड़ी पर मजबूत पसर 5 वर्ष के लिए हो जाये। नगर जलालाबाद के विभिन्न मुहल्लों में लोगों से बात करने के बाद देखिये एक रिपोर्ट।

बिजनौर जनपद की जलालाबाद नगर पंचायत के चेयरमैन की सीट जनरल हो गई है तो इस सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे सभी भावियों के लिए बहुत सारे पैसों की बचत हो गई है क्योंकि अब उन्हें अपनी-अपनी पत्नियों के फोटो-नाम वाले बैनर होर्डिंग नहीं छपवाने पड़ेंगे जैसे पिछली बार महिला सीट रहने पर हुआ था। इस बचे हुए पैसे का इस्तेमाल अब ये भावी प्रत्याशी वोटरों को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए वोटरों की सुखदुःख में शामिल होने और उनकी समस्याओं को सुलझाने में कर सकते हैं, अगर करना चाहें तो।

जलालाबाद नगर पंचायत के चुनावी रण में अब नारे और नुक्कड़ चर्चाएं अब गठबन्धन की बातों से थोड़ा सा हटकर प्रत्याशियों की जातीय-बिरादरी वाली स्थिति पर होने लगीं हैं। यानी कौन भावी प्रत्याशी अपनी बिरादरी के है और कौन भावी प्रत्याशी दूसरी बिरादरी का है। वर्तमान चेयरमैन पति लियाक़त अंसारी पिछले चुनाव के गठबन्धन से अलग होकर जनता के इसी परसेप्शन पर अपनी जीत की उम्मीद में दावे कर रहे हैं कि जनता जात-बिरादरी का साथ देगी और जलालाबाद में भविष्य में अंसारी बिरादरी की लीडरशिप को मजबूत करने की कोशिश करेगी। जनपद बिजनौर की शायद जलालाबाद नगर पंचायत सीट इकलौती ऐसी सीट होगी जहां पर पूरी तौर पर जातीय या बिरादरी के वोट के आधार पर चुनाव लड़ा जाता है।

ऐसा नहीं है कि चुनाव का समय नजदीक आते-आते गठबन्धन की बाते हल्की पढ़ने लगीं हैं, अलबत्ता इतना ज़रूर है कि वोटरों का सोचने और परिस्थितियों को देखने का नजरिया बदल गया है। इसलिए वर्तमान में चारों भावी प्रत्याशी लियाक़त अंसारी, याक़ूब राईन, महबूब कुरैशी और अख्तर राईन अपनी-अपनी जात बिरादरी को अपने पक्ष में पूरी तरह से रखने के अलावा दूसरी बिरादरियों में भी घुसपैठ कर रहे हैं। जो जितनी शिद्दत और मजबूती से घुसपैठ कर लेगा उसके हाथ में जीत की बाजी आ जायेगी। क्योंकि वर्ष 2017 के निकाय चुनावों में 10753 की कुल वोटिंग हुई थी, 4613 वोट पाकर लियाक़त अंसारी की पत्नी सायरा अंसारी चेयरमैन बनीं थीं। पूर्व चेयरमैन याकूब राईन की पत्नी फहमीदा को 3425 वोट मिले थे, याकूब राईन के राजनीतिक प्रतिद्वंदी अख्तर राईन की पत्नी शकीला 1588 वोट पाकर तीसरे नम्बर पर रहीं थीं और रेशमा 468 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहीं थीं। यानी इस बार केवल 800से 1000 हज़ार वोट इधर-उधर होने से ही हार जीत का पासा पलट जाएगा । लेकिन इसमें सबसे बड़ी साख मेहबूब कुरैशी की दांव पर लगी हुई है, क्योंकि वो गठबन्धन के भरोसे पर बैठे हुए थे और अब उन्हें ज़्यादा मेहनत करनी पड़ रही है।

गठबन्धन की दुहाई देकर मेहबूब कुरैशी मेहनत कर रहे हैं, नगर में मेहबूब के लिए गठबन्धन के कारण सहानुभूति भी दिख रही है, अंसारी और शेख बिरादरी के तमाम लोग मेहबूब के प्रति सहानुभूति रखे हुए हैं । अंसारी बिरादरी के गढ़ राहुखेड़ी के दोनों वार्डों में तमाम ऐसे लोग हैं जो बिरादरी के आधार पर वोट देने की बात कर रहे हैं और तमाम लोग गठबन्धन धर्म को निभाने को तवज्जो देने की बात कर रहे हैं। इसी के भरोसे मेहबूब कुरैशी अपनी जीत की कैलकुलेशन करने में लगे हुए हैं, उसमें अंसारी, शेख, मंसूरी, कुरैशी, सहित तमाम गैर मुस्लिमो को वे साथ लेकर चलने की कोशिश में हैं, लेकिन मेहबूब के सामने सबसे बड़ी परेशानी ये है कि कुरैशी बिरादरी का ही एक बड़ा और प्रभावशाली इदरीश कुरैशी का परिवार और उनका समर्थक वर्ग इस बार याकूब राईन का साथ दे रहा है । याकूब राईन पिछली बार दूसरे नंबर पर रहने के कारण इस बार अपनी जीत के दावे कर रहे हैं, क्योंकि याकूब इस रास्ते पर बढ़ रहे हैं कि पिछली बार के उनके वोटर्स तो उनके साथ बने ही रहे बल्कि उनसे अलग करीब 600 से 800 वोटर्स को अपने पाले में खींच लाएं।

इन्ही सब सियासी समीकरणों के चलते इस बार सभी भावी प्रत्याशी अपने प्रचार के पोस्टरों, होर्डिंग्स और बैनरों में वोटरों या समर्थकों की संख्या गिनवाने के लिए सभी के फोटो छाप रहे हैं। इन दिनों प्रत्याशियों द्वारा समर्थकों के फोटों खींचकर अपने साथ छपवाने का अभियान बुलेट ट्रेन की गति से चल रहा है। हालात ये हैं कि जो वोटर खुलकर किसी एक के समर्थन में नहीं आना चाहते हैं वो प्रत्याशियों के सामने आने से बचते फिर रहे हैं, कि पता नहीं कहां फोटो खिंचकर होर्डिंग्स और बैनर पर चिपक जाए । यानी इन दिनों जलालाबाद में चेहरे गिनवाने का काम भी बहुत तेज़ी के साथ चल रहा है। आगे आगे देखिए होता क्या है।