धामी का तीर: अपने क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप नहीं लगा पाएंगे विपक्षी विधायक, सीएम धामी ने मारा ऐसा तीर कि अब विपक्षी विधायकों को खुद दिखाना होगा 10 का दम

Uttarakhand


देहरादून (Big News Today)

विपक्ष को अक्सर सरकारों से ये शिकायत रहती है कि सरकार विपक्ष के विधायकों के क्षेत्र में विकास योजनाओं पर ध्यान नहीं दे रही है। या इस प्रकार की बाते भी सामने आती हैं कि सरकार विपक्षी विधायकों की नहीं सुन रही है। और ऐसा कहकर विपक्षी विधायक अपने क्षेत्रों में जनता से शिकायत करते हैं। अब ने कांग्रेस यानी विपक्ष के हाथों से ये मुद्दा भी छीन लिया है। सीएम धामी ने ऐसा तीर मारा है कि निशाने पर लगना तय मानिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के सभी विधायकों यानी सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों से अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र की व्यापक जनहित से जुड़ी 10 औचित्यपूर्ण आवश्यक विकास योजनाओं के प्रस्ताव प्राथमिकता के क्रम में तैयार करते हुए उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

आपको याद दिला दें कि उत्तराखण्ड में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि 21 वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड राज्य का दशक होगा। कहा जा सकता है कि इसी को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार विकल्प रहित संकल्प के साथ काम कर रही है। अब ये सत्ताधारी दल के विधायकों से ज़्यादा विपक्षी विधायकों पर निर्भर करता है कि वे मुख्यमंत्री धामी की इस पहल को किस नजरिये से लेते हैं। फिलहाल तो सीएम धामी ने गज़ब का तीर मारा है जिससे राज्य के विकास की नई योजनाओं के प्रस्ताव भी सामने आएंगे और विपक्षी विधायकों को शिकायत का मौका भी नहीं मिलेगा।

उत्तराखण्ड में प्रत्येक क्षेत्र का योजनाबद्ध एवं चरणबद्ध रूप से विकास किये जाने की दृष्टि से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मूल मंत्र “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास“ के तहत पार्टी सीमा से उपर उठकर उत्तराखण्ड राज्य के विकास में सभी विधायकों से सहयोग का अनुरोध करते हुए पत्र जारी किया है। पत्र में अनुरोध किया है कि अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र की व्यापक जनहित से जुड़ी 10 औचित्यपूर्ण आवश्यक विकास योजनाओं के प्रस्ताव प्राथमिकता के क्रम में तैयार करते हुए उपलब्ध करायें, ताकि शासन स्तर पर राज्य के आर्थिक संसाधनों के समुचित प्रबन्धन के साथ प्रस्तावित योजनाओं की प्राथमिकता, उपयुक्तता एवं जन सरोकारों में आने वाले प्रभावों के सम्बन्ध में क्षेत्रीय विधायक गणों से विमर्श करते हुए योजनाओं को प्राथमिकता के क्रम में चरणबद्ध एवं समयबद्ध रूप मूर्त रूप दिया जा सके।

अबतक सरकारें चाहे बीजेपी की रहीं हैं या कांग्रेस की लेकिन विपक्ष में जो भी रहा उसकी तरफ से सरकार पर विपक्षी विधायकों की बात ना सुनने और उनके क्षेत्र में काम ना कराने या विपक्षीय विधायकों के क्षेत्रों में विकास योजनाओं का भेदभाव करने जैसे आरोप लगते रहे हैं। इसलिए राज्य गठन के बाद पुष्कर सिंह धामी पहले ऐसे मुख्यमंत्री कहे जा सकते हैं जिनके द्वारा राज्य के हर क्षेत्र का समान रूप से विकास किये जाने के लिए प्रत्येक विधायक से चाहे वह किसी भी दल से जुड़ा क्यों न हो, से क्षेत्र की आवश्यकता और जनहित की दृष्टि से विकास योजनाओं के प्रस्ताव आमंत्रित किये हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह कदम राज्य गठन की 25वीं वर्षगांठ तक उत्तराखण्ड राज्य को श्रेष्ठतम राज्य बनाने के संकल्प पूर्ति में मील का पत्थर साबित होगा।

यानी सीएम धामी की इस पहल से स्पष्ट है कि वर्ष 2025 में राज्य गठन की सिल्वर जुबली के समय तक उत्तराखंड को विकास के पथपर अग्रणी राज्य बनाने के संकल्प पर वे गंभीरता से कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कहे गए बोल कि “21वीं सदी का तीसरा दशक-उत्तराखंड का होगा”, इन शब्दों को सीएम धामी पूरी सकारात्मकता के साथ पूर्ण करने की तरफ कदम उठा रहे हैं। देखना होगा कि वे कितना सफल हो पाते हैं।