कैलाश विजयवर्गीय के सामने कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को उतारा मैदान में
देहरादून, (रिपोर्ट: संपादकीय सलाहकार)
उत्तराखंड में कांग्रेस अपनी सरकार बनाने को लेकर आशान्वित है लेकिन कांग्रेस को बीजेपी का डर भी सता रहा है। दरअसल ये डर इस बात को लेकर ज़्यादा है कि स्पष्ट बहुमत ना होने की स्थिति में कहीं बीजेपी जोदतोड़ की सरकार बनाने की कोशिश में कांग्रेस के विधायकों को ही ना तोड़ ले। पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि हमारी सरकार उत्तराखंड में बहुमत के साथ बनने जा रही है, वहीं हरीश रावत ने संदेह भी जताया है कि भाजपा कुछ भी कर सकती है, क्योंकि भाजपा पाप ही करती है । हरीश रावत के बयान में ये स्पष्ट झलक रहा है कि बीजेपी से विधायकों की खरीद-फरोख्त का डर कोंग्रेस को सता रहा है। हरीश रावत ने कहा कि उनकी आज की रात उत्साह पूर्ण कटेगी।
बृहस्पतिवार को मतगणना होने जा रही है। परिणामों को लेकर बीजेपी और कोंग्रेस दोनों ही बड़ी राजनीतिक पार्टियों सहित सभी दलों और निर्दलीयों में मंथन हो रहा है। आज की रात कयामत की रात के तौर पर देखी जा रही है। दो दिन पहले तक अपनी बहुमत की सरकार तय मानकर चल रही कांग्रेस को टीवी चैनलों के चुनावी सर्वेक्षणों ने थोड़ा चिंता में डाल दिया है, साथ ही बीजेपी को राहत मिली है। लेकिन सरकार बनाने की जोड़तोड़ और गुणाभाग वाली गणित का मंथन और मंत्रणा दोनों पार्टियों में जारी है। देहरादून पहुंचे छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल देर शाम को राजपुर रोड के एक होटल में पूर्व सीएम हरीश रावत ने मुलाकात की। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश और राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ भी बैठक में शामिल रहे। यहां कांग्रेस मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे। कांग्रेस में इसबात को लेकर चिंता देखी जा रही है कि स्पष्ट बड़ा बहुमत ना मिलने की स्थिति में कहीं बीजेपी जोड़तोड़ और खरीद-फरोख्त की कोशिश ना करे। इसलिए कांग्रेस ने बीजेपी के रणनीतिकार कैलास विजयवर्गीय के सामने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को उत्तराखण्ड की जिम्मेदारी दी है। कांग्रेस की राजनीति में भूपेश बघेल को बड़ा रणनीतिकार माना जाता है। चुनावों में इस बार किसी को भी स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिखाई दे रहा है इसीलिए बीजेपी और कोंग्रेस ने सरकार बनाने की अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस ने संभावित निर्दलीयों और बीएसपी के प्रत्याशियों को भी अपने-अपने पाले में मानकर हिसाब लगाना शुरू कर दिया है। यानी बड़ा सवाल ये है कि अगर दोनों ही दलों में से किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो फिर जोड़तोड़ की सरकार बनाने में कौन बाज़ी मारता है।