BIG NEWS TODAY : सभी उत्तराखंडी फ़िल्म दर्शकों के लिए एक खुशखबरी है कि सुप्रसिद्ध लेखक निर्देशक अनुज जोशी की एक महत्वाकांक्षी फ़िल्म “गढ़ कुमौ “इस 13 दिसम्बर को देहरादून के सेंट्रियो मॉल और हल्द्वानी के वॉल्कवे मॉल में रिलीज हो रही है। निर्माता हरित अग्रवाल की यह फ़िल्म “गढ़ कुमौ” की विशेषता यह है कि यह पहली उत्तराखंडी फ़िल्म है जिसमे गढ़वाली व कुमाउनी भाषा दोनों का प्रयोग किया गया है।


यह फ़िल्म उत्तराखंड के दोनो पहाड़ी क्षेत्रों गढ़वाल व कुमाऊं के आपसी रिश्तों पर आधारित एक सोशल फैमिली ड्रामा है। जो इन दो पहाड़ी समाजों के बीच सदियों पुरानी कड़वाहट पर खुल कर बात करती है। एक तरह से यह उत्तराखंडी फ़िल्म उत्तराखंड के सिनेमा को नया आयाम देने का एक नया गम्भीर प्रयास है। इन दोनों समाजों के बीच कथित वैमनस्य की ऐतिहासिक और सामाजिक परतों को यह फ़िल्म खूबसूरती से खोलती है।और साबित करती है कि गढ़वाल व कुमाऊं के दोनों पहाड़ी समाजों में भाषाई, सांस्कृतिक,भौगोलिक और ऐतिहासिक समानताएं हैं। दोनों समाजों का रहन सहन खानपान एक ही तरह का है। फ़िल्म में जहां रोमांस व ट्रेजडी का अनोखा संगम है वहीं गढ़वाली व कुमाउनी परिवारों की आपसी चुहल गुदगुदाती भी है। कुछ बेहतरीन रोमांटिक गीत संगीत के साथ फ़िल्म का कथानक भी रोचक है और उत्सुकता बनाकर रखता है।

कुल मिला कर यह फ़िल्म “गढ़ कुमौ” उत्तराखंड के दोनों प्रमुख पहाड़ी अंचलों गढ़वाल व कुमाऊं के रिश्तों में सदियों से जमीं बर्फ को पिघलाने की कोशिश करती है। फ़िल्म में बड़ी खूबसूरती से गढ़वाली व कुमाउनी भाषा का प्रयोग किया गया है। फ़िल्म में आधे कलाकार कुमाऊं से व आधे गढ़वाल से हैं। मुख्य भूमिका में जहां एक तरफ कुमाऊं की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री अंकिता परिहार है वही गढ़वाल से सुप्रसिध्द अभिनेता संजू सिलोड़ी हैं। साथ मे सुशील पुरोहित, राकेश गौड़, गोकुल पंवार, गम्भीर जायरा, अनिल शर्मा, डॉक्टर सुनीत नैथानी व बिनीता नेगी सहयोगी कलाकार की भूमिका में हैंI
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी इन्हीं लेखक निर्देशक अनुज जोशी की कई ब्लॉकबस्टर गढ़वाली फ़िल्में ” मेरु गौं”,”तेरी सौं” “असगार “व “अजाण “भी सिल्वर स्क्रीन पर प्रसिद्दी पा चुकी है और हाल ही में आई पहली जौनसारी फ़िल्म ” मैरै गांव की बाट” भी इन्हीं के निर्देशन में बनी है, जो लगातार बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ती जा रही है।