क्या सरकार मौसम को देखते हुए सत्र पर करेगी पुनर्विचार?
📍 देहरादून ब्यूरो | अपडेटेड: 12 अगस्त 2025
उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र 19 से 22 अगस्त तक चमोली जिले के गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में प्रस्तावित है। विधानसभा सचिवालय व सरकारी स्तर पर तैयारियां ज़ोरों पर हैं, लेकिन राज्य के कई जिलों में लगातार हो रही अतिवृष्टि और भूस्खलन जैसी आपदाओं के चलते अब सत्र की जगह को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
उत्तरकाशी में आपदा की तस्वीर सबके सामने हैं, गढ़वाल मंडल में कई जनपदों में भी गंभीर स्थिति बनी हुई है। इन संवेदनशील हालातों में कई जनप्रतिनिधि चाहते हैं कि सत्र को फिलहाल देहरादून में ही आयोजित किया जाए। जबकि कुछ नेता गैरसैंण को प्राथमिकता देने की बात पर कायम हैं।
बसपा विधायक बोले—बरसात में गैरसैंण का कोई औचित्य नहीं
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक हाजी मोहम्मद शाहज़ाद ने खुलकर कहा है कि वे गैरसैंण या पहाड़ के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस समय जब पहाड़ों में आपदा की स्थिति बनी हुई है, सत्र को वहीं आयोजित करना उचित नहीं है।
“बरसात बहुत भारी है। अक्टूबर-नवंबर में कभी भी गैरसैंण में एक हफ्ते या एक महीने तक सत्र कराया जा सकता है। लेकिन अगस्त में इस मानसून सत्र को देहरादून में ही करना चाहिए,” — हाजी मोहम्मद शाहज़ाद, विधायक, बसपा
विधायक का कहना है कि अगर सत्र कराना ही जरूरी है तो छह महीने की संवैधानिक बाध्यता पूरी करने के लिए देहरादून में एक दिन का सत्र बुलाकर, गैरसैंण में बाद में विस्तृत सत्र किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब सरकार के लोग हेलीकॉप्टर से जाएंगे, तो विधायक और आम कर्मचारी तोता घाटी और अन्य जोखिम भरे मार्गों से कैसे सुरक्षित गुजरेंगे?
नेता प्रतिपक्ष आर्य बोले—गैरसैंण प्राथमिकता में होना चाहिए
दूसरी ओर, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सत्र गैरसैंण में ही आयोजित किए जाने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि:
“मौसम तो बदलता रहता है। हजारों लोग गैरसैंण में रहते हैं और वहां जीवन जीते हैं, तो क्या हम कुछ दिन के लिए नहीं जा सकते? हमारी प्राथमिकता में गैरसैंण है। सत्र वहीं होना चाहिए।”
उन्होंने सरकार पर आपदा प्रबंधन को लेकर निशाना भी साधा और कहा कि पहाड़ों में नुकसान हो रहा है, लेकिन बिजली, पानी, सड़क और पुनर्वास जैसे विषयों पर सरकार की तैयारी नगण्य है।
मंत्री सुबोध उनियाल का बयान—सरकार लेगी निर्णय
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार गैरसैंण सहित पहाड़ के विकास को प्राथमिकता देती है। सत्र की जगह को लेकर निर्णय लेना सरकार का अधिकार है और सभी राजनीतिक दलों की राय लेकर ही फैसला लिया जाएगा।
स्पीकर ऋतु खंडूरी—सत्र की पूरी तैयारी, लेकिन संसदीय कार्य मंत्री जरूरी
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूरी ने कहा कि सत्र के आयोजन की जिम्मेदारी सरकार की है, लेकिन विधानसभा सचिवालय की ओर से तैयारियाँ पूरी हैं। उन्होंने बताया कि:
- अब तक 545 प्रश्न विधानसभा को प्राप्त हो चुके हैं
- कुछ महत्वपूर्ण विधेयक भी सत्र में आने हैं
- लेकिन बिना संसदीय कार्य मंत्री के सत्र नहीं हो सकता
बिना संसदीय कार्य मंत्री कैसे होगा मानसून सत्र?
पुष्कर सिंह धामी सरकार में संसदीय कार्य और वित्त मंत्री रहे प्रेमचंद अग्रवाल ने मार्च 2025 में विवादित बयान के बाद मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से संसदीय कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी किसी अन्य मंत्री को नहीं दी गई है।
संसदीय कार्य मंत्री का होना सत्र संचालन के लिए बेहद जरूरी होता है, क्योंकि मुख्यमंत्री अकेले सभी प्रश्नों और विधायी मामलों का उत्तर नहीं दे सकते। ऐसे में सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या सरकार सत्र से पहले किसी को संसदीय कार्य मंत्री बनाएगी?
फैसला जल्द, निगाहें धामी सरकार पर टिकीं
उत्तराखंड में मानसून सत्र का आयोजन अब सिर्फ स्थान का नहीं, बल्कि आपदा प्रबंधन, जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा, और संवैधानिक प्रक्रियाओं की पूर्ति का प्रश्न बन गया है। सभी की निगाहें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर टिकी हैं कि क्या वे मौसम और संवेदनशील हालात को देखते हुए गैरसैंण में प्रस्तावित सत्र पर पुनर्विचार करेंगे या नहीं।
📰 रिपोर्ट: BIG news today
✍️ लेखक: एम. फहीम ‘तन्हा’
📅 प्रकाशन तिथि: 12 अगस्त 2025
📍 स्थान: देहरादून

