उन्हें लिपुलेख दर्रे तक पहुँचाया गया, जहाँ से ITBP (इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस) की मदद से गुंजी स्थित शिविर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
रविवार, 20 जुलाई 2025 | BIG NEWS TODAY
स्थान: पिथौरागढ़/देहरादून
भारत सरकार की पूर्व विदेश राज्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेत्री मीनाक्षी लेखी कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान घोड़े से गिरने के कारण घायल हो गईं। उन्हें तिब्बत के दारचिन क्षेत्र में यह दुर्घटना घटी, जहाँ से उन्हें भारतीय सीमा तक लाने के लिए एक विशेष रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया।
📍 क्या हुआ हादसे में?
मीनाक्षी लेखी तीर्थयात्रियों के दूसरे जत्थे के साथ कैलाश परिक्रमा पर थीं। दारचिन क्षेत्र में ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर सफर के दौरान वह म्यूल (घोड़े) से असंतुलित होकर गिर पड़ीं। गिरने से उनकी कमर और पीठ में गंभीर चोटें आईं।
🚑 तत्काल राहत और मेडिकल सहायता
हादसे के तुरंत बाद तिब्बत में मौजूद प्रशासन और यात्रियों की मदद से उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया। बाद में चीन-भारत समन्वय के तहत उन्हें लिपुलेख दर्रे तक पहुँचाया गया, जहाँ से ITBP (इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस) की मदद से गुंजी स्थित शिविर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
ITBP के डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी में जुटी हुई है। रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी हालत स्थिर है, लेकिन उन्हें चलने-फिरने में कठिनाई हो रही है।

🚁 कल किया जा सकता है एयरलिफ्ट
क्षेत्र में खराब मौसम के चलते तत्काल हवाई निकासी संभव नहीं हो पाई। हालांकि, सोमवार (21 जुलाई) को मौसम अनुकूल होने पर उन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए दिल्ली या देहरादून या हल्द्वानी लाया जाएगा, जहाँ उन्हें उन्नत इलाज मिलेगा।
⛅ कठिन यात्रा, फिर भी आस्था अडिग
कैलाश मानसरोवर यात्रा धार्मिक रूप से अत्यंत पवित्र मानी जाती है, लेकिन यह भौगोलिक और शारीरिक रूप से भी बेहद कठिन है। ऊँचाई, ऑक्सीजन की कमी और मौसम की अनिश्चितता इसे और चुनौतीपूर्ण बना देती है।
मीनाक्षी लेखी जैसी वरिष्ठ सार्वजनिक हस्ती की इस तीर्थ में भागीदारी यह दर्शाती है कि श्रद्धा के आगे ओहदा कोई मायने नहीं रखता, लेकिन सुरक्षा और सावधानी की आवश्यकता हर किसी के लिए बराबर है।
✍️सुरक्षा बलों की तत्परता
यह घटना न सिर्फ तीर्थयात्रा की कठिनाई को उजागर करती है, बल्कि हमारे सुरक्षा बलों की तत्परता का भी प्रमाण है। ITBP का त्वरित रेस्पॉन्स एक बार फिर साबित करता है कि सीमाओं पर न केवल देश की रक्षा होती है, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर नागरिकों की जान भी बचाई जाती है।