आबकारी नीति-2024 को धामी कैबिनेट की मंजूरी, आबकारी राजस्व लक्ष्य 11 फीसदी बढ़ाकर किया गया 4440 करोड़

Dehradun Uttarakhand


देहरादून, बिग न्यूज़ टूडे: बुधवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसलों पर मुहर लगी।  बैठक में फैसला लिया गया कि विधानसभा का सत्र देहरादून में ही होगा। तिथियों पर निर्णय लेने का अधिकार सीएम को दिया गया। ग्रीष्मकालीन सत्र गैरसैण में होगा। वहीं आबकारी नीति को मंजूरी मिल गई है। 4000 करोड़ के लक्ष्य को 4400 करोड़ किया गया।

  1. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के राजस्व लक्ष्य ₹ 4000 करोड़ के सापेक्ष 11 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष 2024-2025
    के लिए ₹4440 करोड़ का लक्ष्य दिया गया है।
  2. पर्वतीय क्षेत्र में इनोवेशन और निवेश को प्रोत्साहन के लिए माइक्रो डिस्टिलेशन इकाई की स्थापना का प्रावधान किया गया है। जिसे सूक्ष्म उद्योगों की श्रेणी में कम से कम क्षेत्रफल में स्थापित किया जा सकेगा जो कि आर्थिक रूप से सक्षम होने के
    साथ हिमालयी क्षेत्र की पर्यावरणीय मानकों के अनुकूल होने से स्थानीय पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
  3. उत्तराखंड में संचालित आसवानी में उच्च गुणवत्ता की मदिरा निर्माण होने से एक ओर राजस्व में वृद्धि होगी वहीं राज्य में प्रचुर मात्रा में उगने वाली वनस्पतियों जड़ी-बूटियों का उपयोग होने से स्थानीय किसानों के लिए आय के नए साधन उत्पन्न
    होंगे एवं राज्य में निर्मित मदिरा को विश्व स्तरीय पहचान मिलेगी। राज्य की उच्च गुणवत्ता युक्त जड़ी-बूटियों, फलों-फूलों तथा हिमालय की जलवायु, वातावरणीय शुद्धता के कारण उच्च गुणवत्ता के जल स्रोत व अन्य कारकों के कारण विश्व स्तरीय सुगंधित मदिरा-मॉल्ट के उत्पादन के हब के रूप में राज्य प्रतिष्ठित हो सकेगा। जिस प्रकार यूरोप में स्कॉटलैंड, इटली आदि विश्वस्तरीय मदिरा के लिए प्रतिष्ठित हैं। उसी प्रकार हिमालयी राज्य उत्तराखंड विश्वस्तरीय स्प्रिट-मॉल्ट के उत्पादन के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो सकेगा।
  4. विदेशी मदिरा की भराई ( बॉटलिंग) के लिए आबकारी राजस्व एवं निवेश के मद्देनजर प्रथम बार प्रावधान किए जा रहे हैं। प्रदेश उपभोक्ता राज्य से निर्यातक राज्य के रूप में स्थापित हो सके।
  5. प्रदेश में विदेशी मदिरा के थोक व्यापार को उत्तराखंड राज्य के मुूल स्थायी निवासियों के रोजगार के लिए भारत में निर्मित विदेशी मदिरा (आईएमएफएल) की आपूर्ति के थोक अनुज्ञापन- व्यापार (एफएल-2) अनुज्ञापन को उत्तराखंड के अर्ह नागरिकों को दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
  6. आबकारी राजस्व अर्जन की दृष्टि से प्रथम बार ओवरसीज मदिरा की आपूर्ति के लिए थोक अनुज्ञापन एफएल-2 (ओ) का प्रावधान किया गया है। जिससे कस्टम बॉण्ड से आने वाली ओवरसीज मदिरा के व्यापार को राजस्व हित में नियंत्रित किया जा सकेगा।
  7. राज्य की कृषि-बागवानी से जुड़े कृषकों के हित में देशी शराब में स्थानीय फलों जैसे कि किन्नू, माल्टा, काफल, सेब, नाशपाती, तिमूर, आड़ू आदि का समावेश किया जाएगा।
  8. मदिरा की दुकानों का व्यवस्थापन नवीनीकरण, दो चरणों की लॉटरी, प्रथम आवक प्रथम पावक के सिद्धांत पर पारदर्शी एवं अधिकतम राजस्व अर्जन की दृष्टि से किया जाएगा।
  9. नवीनीकरण उन्ही अनुज्ञापियों का किया जाएगा जिनकी समस्त व्यापारगत देयताएं बेबाक हों और प्रतिभूतियां सुरक्षित हों।
  10. आवेदकों को आवेदन पत्र के साथ दो वर्ष का आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य होगा।
  11. एक आवेदक संपूर्ण प्रदेश में अधिकतम तीन मदिरा दुकानें आवंटित की जा सकेंगी।
  12. प्रदेश के समस्त जनपदों में संचालित मदिरा दुकान के सापेक्ष उप दुकान खोले जाने की अनुमति राजस्व हित में दी जा सकेगी।
  13. देशी मदिरा दुकानों में 36 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार शराब या 25 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार एवं सादा मदिरा एवं विशेष श्रेणी की मेट्रो मदिरा की आपूर्ति के प्रावधान किए गये हैं।
  14. विदेशी-देशी मदिरा के कोटे का अंनतरण कोटे के अधिभार के 10 फीसदी तक अनुमन्य होगा।
  15. विदेशी मदिरा में न्यूनतम प्रत्याभूत ड्यूटी का निर्धारण कर मदिरा ब्रांडो का मूल्य विगत वर्षों की भांति निर्धारित किया गया है, जिससे आबकार राजस्व सुरक्षित रहें और उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर मदिरा उपलब्ध हो सके।
  16. प्रदेश में पर्यटन प्रोत्साहन एवं स्थायनीय रोजगार की दृष्टि से पर्वतीय तहसील एवं जनपदों में मॉल्स एवं डिपार्टमेंटल स्टोर में मदिरा बिक्री का अनुज्ञापन शुल्क 5 लाख रुपये तथा न्यूनतम स्पेस क्षेत्रफल 400 वर्गफुट का प्रावधान किया गया है।
  17. विगत वर्ष से भिन्न स्टारर कैटेगरी के अनुसार बार अनुज्ञापन शुल्क निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार पर्यटन की दृष्टि से सीजनल बार अनुज्ञापन शुल्क का प्रावधान किया गया है।
  18. परंपरागत रूप से अवैध कच्ची शराब के उत्पादन क्षेत्रों में लगातार प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही करने तथा ऐसे क्षेत्रों में वैध मदिरा के विक्रय को प्रोत्साहन करने के लिए उप दुकान का प्रावधान किया गया है।