देहरादून (Big News Today Bureau)
इस खबर में आपको बताएंगे कि मधुमक्खी केवल शहद ही नहीं बल्कि कई और उत्पाद भी देती है जिनकी कीमत शहद से दो-तीन गुनी तक है साथ ही ये बड़े जीवन रक्षक भी हैं। उत्तराखंड उद्यान विभाग के निदेशक डॉ. हरमिंदर सिंह बवेजा मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। दुनिया जानती है कि मधु मक्खी शहद बनाती है और शहद सेहत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। विभिन्न की प्रकार की सेहत से जुड़ी समस्याओँ को दूर करके के लिए शहद के इस्तेमाल के तरीके भी अलग-अलग बताये गए हैं। यही कारण है कि शरीर में इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर भी अब शहद का इस्तेमाल बढ़ रहा है और मधुमक्खी पालन के व्यवसाय में लोग आगे आ रहे हैं। उत्तराखंड में हॉर्टिकल्चर विभाग मौन पालन यानि मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रहा है।
अब हम आपको बताते हैं कि मधुमक्खी से शहद के अलावा और भी बहुत कुछ मिलता है जिसको कोविड-19 के खिलाफ एक बड़ा हथियार माना जा रहा है। उत्तराखंड उद्यान और खाद्य प्रसंस्करण विभाग को निदेशक के रूप में मिले डॉ. हरमिंदर सिंह बवेजा मधुमक्खी पालन रोजगार को सिर्फ शहद के लिए करने से आगे बढ़ाकर ले जाने की दिशा में चल रहे हैं। डॉ. बवेजा ने हाल ही में एक पुस्तक लिखी है जिसका नाम है BEE POLLEN AND PROPOLIS – The Hidden Treasure To Fight Back Covid-19 . इस पुस्तक में डॉ. बवेजा मधुमक्खी पालन से सिर्फ शहद प्राप्त करने और वैक्स यानि मोम प्राप्त करने से आगे ले जाकर BEE POLLEN यानि मौन पराग, BEE VENOM यानि मधुमक्खी का विष, PROPOLIS यानि मधुमक्खी से निकला एक पदार्थ और रॉयल जैली जैसे उत्पाद का वर्णन किया है।
डॉ. बवेजा कहते हैं कि मधुमक्खी पालन को सिर्फ शहद और वैक्स उत्पादन से आगे ले जाने की कोशिश की जा रही है, ताकि किसानों की आय दोगुनी करने और आत्मनिर्भर भारत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम में भी योगदान दिया जा सके। उद्यान और कृषि मंत्री सुबोध उऩियाल भी इसको लेकर विशेष रुचि दिखा रहे हैं। हालांकि कई जगहों पर BEE POLLEN यानि मौन पराग का कमर्शियल उत्पादन हो रहा है लेकिन अभी इसके उपयोग को लेकर जागरुकता कम है।
उद्यान विभाग के निदेशक डॉ. हरमिंदर सिंह बवेजा कहते हैं कि वे मधुमक्खी से प्राप्त होने वाले जीवन रक्षक उत्पादों की योजना को सरकार के सहयोग और मंत्री सुबोध उनियाल के मार्गदर्शन में आगे बढ़ा रहे हैं। डॉ. बवेजा कहते हैं कि BEE POLLEN यानि मौन पराग का कोविड रोगी होने के दौरान उऩ्होने खुद खाकर अपने ऊपर परीक्षण किया है, मौन पराग के इस्तेमाल से उऩकी सेहत में ड्रास्टिक सुधार हुआ और उऩ्हे नया जीवन मिला है। इसी प्रकार BEE VENOM यानि मौन विष का इस्तेमाल कैंसर के लिए बहुत लाभदायक माना जा रहा है। डॉ. बवेजा ने ये पुस्तक BEE POLLEN AND PROPOLIS – The Hidden Treasure To Fight Back Covid-19 कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित होकर ठीक होने के बाद लिखी है।