BIG NEWS TODAY : उत्तराखंड हाई कोर्ट में सरकार से जुड़े मामले देखने के लिए लीगल टीम में विधि अधिकारियों के पद में उच्चिकरण किया गया है I और साथ ही कुछ अन्य पदों पर नई नियुक्तियां भी की गई हैं, देखिए न्याय विभाग की अधिसूचना, यथासम्भव अक्षरशः नीचे दी गई है I
उत्तराखण्ड शासन
न्याय अनुभाग-1
संख्या- /XXXVI-A-1/2025-105/2012 देहरादून, दिनांकः 15 मई, 2025
अधिसूचना
उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय में राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति तथा पदावधि के लिए सामान्य अनुदेश, 2016 के अनुदेश-4 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भा० उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से पैरवी करने के लिए निम्न वर्णित पूर्व से आबद्ध विधि अधिकारियों को उच्चीकृत करते हुए उनके नाम के सम्मुख अंकित पद पर तत्काल प्रभाव से अग्रेत्तर आदेश तक आबद्ध किये जाने की श्री राज्यपाल सहर्ष स्वीकृति प्रदान करते है-
क्र० सं० विधि अधिकारी का नाम/पदनाम उच्चीकृत पदनाम
- श्रीमती पुष्पा भट्ट, उप महाधिवक्ता अपर महाधिवक्ता
- श्री बी०एस० परिहार, स्थायी अधिवक्ता अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता
- श्री विश्वदीपक विसैन, स्थायी अधिवक्ता अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता
- श्री प्रमोद तिवारी, ब्रीफ होल्डर (क्रि०) सहायक शासकीय अधिवक्ता
- श्री एस०एस० चौधरी, ब्रीफ होल्डर (सि०) स्थायी अधिवक्ता
2- उक्त के अतिरिक्त निम्नलिखित अधिवक्ताओं को उनके नाम के सम्मुख पदनाम पर तत्काल प्रभाव से अग्रेत्तर आदेश तक आबद्ध किये जाने की भी श्री राज्यपाल सहर्ष स्वीकृति प्रदान करते है:-
क्र० सं० अधिवक्ता का नाम एवं पदनाम
- श्री राहुल वर्मा अपर महाधिवक्ता
- श्री बास्वानन्द गौलखी उप महाधिवक्ता
- श्री तुमुल नैनवाल सहायक शासकीय अधिवक्ता
- श्री दिनेश चौहान सहायक शासकीय अधिवक्ता
- श्री नन्दन सिंह कन्याल सहायक शासकीय अधिवक्ता
- श्री एन०के० पपनोई स्थायी अधिवक्ता
- श्री विजय खण्डूरी ब्रीफ होल्डर (क्रि०)
- श्री चित्रार्थ काण्डपाल ब्रीफ होल्डर (क्रि०)
- श्री चन्द्र शेखर जोशी ब्रीफ होल्डर (सि०)
- श्री तरूण मोहन ब्रीफ होल्डर (सि०)
3-उक्त आबद्धता इस शर्त के साथ प्रदान की जाती है कि यह एक व्यवसायिक आबन्धन है, किसी ‘सिविल पद पर नियुक्ति नही है। इस आबन्धन को राज्य सरकार द्वारा किसी भी समय बिना किसी पूर्व सूचना के और बिना कोई कारण बताये समाप्त किया जा सकता है तथा आबद्ध अधिवक्तागण भी इसे कभी भी लिखित सूचना देकर समाप्त कर सकते है। आबद्ध अधिवक्तागण द्वारा अपनी आबद्धता के दौरान उत्तराखण्ड राज्य के विरूद्ध किसी भी न्यायालय में किसी भी प्रकार के मामलें में किसी अन्य व्यक्ति / संस्था की आबद्धता स्वीकार नहीं करेंगे और न ही राज्य के विरूद्ध कोई विधिक परामर्श देंगे तथा ये विधि परामर्शी निदेशिका के उपबन्धों का कड़ाई से पालन करेंगे।