BIG NEWS TODAY : ऐसा कम ही सुनने को मिलता है कि जंगली जानवर को मारने पर किसी इंसान को सजा मिली हो, लेकिन ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड के जनपद पौड़ी में सामने आया है। जहां पर पिंजरे में कैद तेंदुए को जिंदा जलाने के आरोप में पौड़ी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में तत्कालीन ग्राम मुखिया समेत पांच ग्रामीणों को एक-एक साल की कारावास की सजा सुनाई है।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह ने पूर्व गांव मुखिया अनिल कुमार नेगी, चोपड़ा के देवेंद्र सिंह और सरना गांव की सरिता देवी, भुवनेश्वरी देवी और कैलाशी देवी को तेंदुए को जिंदा जलाने के आरोप का दोषी पाया। अदालत ने सभी पांच दोषियों को एक साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही प्रत्येक दोषी पर 3,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना न भरने पर प्रत्येक दोषी को 15 दिन अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
गौरतलब है कि 15 मई 2022 की शाम को, सपलोड़ी गांव की निवासी सुषमा देवी अपनी सहेली के साथ जंगल से ‘काफल’ (पर्वतीय क्षेत्र का फल) तोड़ने जंगल गई थी लेकिन शाम को लौटते समय उपर तेंदुए ने हमला कर दिया था जिससे सुषमा देवी की दुखद मौत हो गई थी। गौरतलब है कि उन दिनों पौड़ी के भट्टी, सरना, कुलमोरी और सपलोड़ी क्षेत्रों में गुलदारों का अधिक आतंक पसरा हुआ था। इस घटना से ग्रामीण और आसपास क्षेत्र के लोग डरे सहमे और आक्रोशित थे। ग्रामीणों की मांग पर वन विभाग ने 16 मई 2022 को सप्लोड़ी गांव में दो पिंजरे लगाए थे।
इनमें से एक पिंजरे में एक तेंदुआ कैद हो गया था। इसके बाद मौके पर बड़ी तादाद में लोगों की भीड़ जमा हो गई थी और तेंदुए को गोली मारने की मांग करने लगी थी, लेकिन वन अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया। घटनाक्रम के अनुसार 24 मई 2022 को एक उग्र भीड़ ने पाबौ ब्लॉक के सपलोड़ी गांव में एक पिंजरे में कैद तेंदुआ को आग लगा दी थी। तत्कालीन वन अधिकारी सतीश लाल द्वारा शिकायत दर्ज करवाई गई थी, जिसपर पूर्व गांव मुखिया अनिल कुमार नेगी समेत पांच व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उन पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन एवं जन सेवकों के कार्यों में बाधा डालने व आपराधिक हमले के आरोप लगाए गए थे। (साभारः फीचर इमेस प्रतीकात्मक है।)