देहरादून में स्थित ऐतिहासिक गुरु राम राय दरबार साहिब, जहां परंपरा मिलती है आधुनिक सेवा से। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महंत देवेंद्र दास जी महाराज ने दरबार को उत्तर भारत के सबसे सशक्त सामाजिक-सांस्कृतिक केंद्रों में बदल दिया है।
देहरादून की आत्मा को अगर किसी एक संस्था में समेटना हो, तो वह है — गुरु राम राय दरबार साहिब। एक ओर जहां यह दरबार ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संजोए हुए है, वहीं दूसरी ओर यह आज शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में समाज की सेवा का एक जीवंत केंद्र बन चुका है। इस विरासत को आधुनिकता से जोड़ने वाले वर्तमान गद्दीनशीं महंत श्री देवेंद्र दास जी महाराज न केवल एक धार्मिक नेतृत्वकर्ता हैं, बल्कि सामाजिक उन्नयन के अग्रदूत भी हैं।
इतिहास की परतों से निकली एक रौशनी
सन् 17वीं शताब्दी में, सातवें सिख गुरु श्री गुरु हर राय जी महाराज के सुपुत्र श्री गुरु राम राय जी ने औरंगज़ेब के दरबार में भेजे जाने के बाद, देहरादून की शांत वादियों में डेरा डाला। जहां उन्होंने अपनी झंडी (ध्वज) स्थापित की, वहीँ से “देहरा” शब्द उत्पन्न हुआ, जो आगे चलकर “देहरादून” नाम का आधार बना।
यह दरबार सिर्फ एक धार्मिक केंद्र नहीं बना, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन की तरह विकसित हुआ। यहां की भित्ति चित्रकला (Murals) मुग़ल, पहाड़ी, राजस्थानी और भारतीय परंपरा का अद्भुत संगम दिखाती है। आज भी यह दरबार स्थापत्य और कला के प्रेमियों के लिए शोध का विषय बना हुआ है।

( Mahant Devendra Das Ji Maharaj at Guru Ram Rai Darbar)
महंत देवेंद्र दास जी महाराज: परंपरा को सेवा से जोड़ते एक संत
वर्तमान महंत श्री देवेंद्र दास जी महाराज ने गुरु परंपरा को यथास्थान बनाए रखते हुए इसे शिक्षा और चिकित्सा सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ाया है। उनका मानना है कि धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि समाज की सेवा ही सच्चा धर्म है।

(Shri Guru Ram Rai University main building)
शिक्षा: ज्ञान का दीपक हर घर तक
1952 में शुरू हुआ ‘SGRR एजुकेशन मिशन’, आज उत्तर भारत की सबसे बड़ी शैक्षिक संस्थाओं में गिना जाता है। इस मिशन के अंतर्गत:
- 122+ स्कूल और कॉलेज संचालित हो रहे हैं।
- 2017 में स्थापित श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय (SGRRU) ने उच्च शिक्षा को ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक पहुंचाया है।
- SGRR PG कॉलेज, जो 1960 से उच्च शिक्षा का एक स्तंभ बना हुआ है, आज NAAC द्वारा मान्यता प्राप्त उत्कृष्ट संस्थान है।
चाहे वह पब्लिक स्कूल हों या तकनीकी संस्थान, महंत जी के मार्गदर्शन में शिक्षा संस्थानों ने सुलभ फीस, छात्रवृत्ति, और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के माध्यम से हजारों छात्रों का जीवन संवारा है।

( Shri Mahant Indiresh Hospital Dehradun campus)
स्वास्थ्य सेवा: सच्ची सेवा का परिचय
महंत जी का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण योगदान है – स्वास्थ्य सेवा का विस्तार, जिसमें उन्होंने गुरु परंपरा को जीवनदायिनी रूप में ढाला।
🔹 श्री महंत इंद्रेश अस्पताल (SMIH)
- 1,200 से अधिक बेड की सुविधा के साथ, यह उत्तर भारत के बड़े मल्टी-स्पेशलिटी अस्पतालों में से एक है।
- प्रतिदिन 3,000 से अधिक मरीजों को यहाँ परामर्श व इलाज मिलता है।
- यहाँ आधुनिक चिकित्सा तकनीकें, ICU, OT, MRI, CT, डायलिसिस, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरोलॉजी जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
🔹 श्री गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज (SGRRIM&HS)
- 2006 में शुरू हुआ यह मेडिकल कॉलेज, अब 200 MBBS सीटों के साथ उत्तराखंड का सबसे बड़ा निजी मेडिकल कॉलेज बन चुका है।
- यहाँ स्नातक के साथ-साथ पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रम भी संचालित हो रहे हैं।
🔹 ग्रामीण स्वास्थ्य पहल
- देहरादून के भोवाला क्षेत्र में अस्पताल द्वारा खोला गया ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र, चिकित्सा सुविधा को गाँवों तक पहुंचाने का उदाहरण है।
- स्वास्थ्य शिविर, निःशुल्क परामर्श, और दवाई वितरण जैसे कार्य निरंतर चलाए जा रहे हैं।

(Alt Text: Jhanda Mela at Darbar Sahib Dehradun)
धार्मिक परंपरा में आधुनिक संत का प्रवेश
श्री महंत देवेंद्र दास जी केवल एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक ही नहीं, बल्कि आधुनिक संत हैं, जिन्होंने सदियों पुरानी परंपरा को 21वीं सदी की सामाजिक आवश्यकता से जोड़ा। उन्होंने लंगर, नगर कीर्तन, झंडी मेला जैसे धार्मिक आयोजनों को सामाजिक एकता और जनकल्याण का माध्यम बनाया।
हर साल होली के बाद आयोजित होने वाला झंडी मेला आज भी उत्तर भारत का एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव है, जहां लाखों श्रद्धालु एक साथ धर्म और परंपरा का उत्सव मनाते हैं।
परंपरा की मिट्टी से उगते सेवा के वृक्ष
श्री गुरु राम राय दरबार साहिब केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, यह एक संकल्प है — सेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य का, जो महंत देवेंद्र दास जी महाराज के नेतृत्व में और भी पुष्पित-पल्लवित हो रहा है।
यह दरबार आज भी उसी झंडी के नीचे खड़ा है, जो कभी श्री गुरु राम राय जी ने गाड़ी थी। अब वह झंडी धर्म आध्यात्म से उठकर सेवा की ऊँचाइयों तक भी पहुँच चुकी है।