आर्ट गैलरी सौपर्णिका कला साधना द्वारा देहरादून में चित्रकार कार्यशाला का आयोजन…… देश-विदेश के कई प्रसिद्ध चित्रकारों ने किया प्रतिभाग

Dehradun Delhi Uttarakhand


देहरादून। BIG NEWS TODAY : कला दीर्घा सौपर्णिका Sauparnika Art Gallery कला साधना एवं कला सेवा के क्षेत्र में विगत कुछ वर्षों से अपना योगदान दे रहा है। द्वारकापुरी (इंजीनियरिंग एनक्लेव) जीएमएस रोड में स्थित यह स्टूडियो देश-विदेश के कलाकारों को खूब भा रहा है। कर्नल भारत भंडारी (सेवानिवृत) द्वारा कला स्टू़डियो में निशुल्क कार्यशाला आयोजित की गई।

जिसमें देश विदेश के कई नामचीन चित्रकारों ने जुड़कर प्रतिभाग किया।

दक्षिण भारत की पवित्र सौपर्णिका नदी जो कि अपने किनारे स्थित देवी मंदिर के लिए भी प्रख्यात है, की प्रेरणा से इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

महाराष्ट्र ,असम, राजस्थान ,उत्तर प्रदेश आदि के चित्रकारों के अतिरिक्त सिंगापुर और नेपाल के, 30 से अधिक चित्रकारों ने यहां आकर विभिन्न शैलियों में उत्कृष्ट चित्रों का सृजन किया।

sauparnika art gallery organized artists workshop

  केंद्रीय विद्यालय आईटीबीपी सीमा द्वार की कला अध्यापिका कहकशां ने अपने हाथों से ऐपण कला से चित्रित बॉर्डर की शॉल कर्नल भारत भंडारी और अन्य को पहना कर उनका अभिनंदन करते हुए और दीर्घा सौपर्णिका का आभार व्यक्त किया।

 कार्यशाला की समाप्ति पर यहां सृजन किए चित्रों का प्रदर्शन किया गया।

विशिष्ठ अतिथि आपदा प्रबंधन केंद्र के मुख्य कार्याधिकारी डाॅ. पीयूष रौतेला ने सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किए। 

ये विश्व प्रसिद्ध चित्रकार हुए शामिल
 अभिव्यक्ति को किसी सीमा में न बांधते हुए चित्रकारों ने अपनी कला साधना में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिसकी झलक यहां खुलकर दिखाई दी।

प्रतिभागियों में  देश विदेश में सम्मानित एवं पुरस्कृत महाराष्ट्र सर जेजे स्कूल के भूतपूर्व छात्र संघपाल ने प्रकृति चित्रण ,असम और शांतिनिकेतन के अनिर्बान ने अमूर्त चित्रों के माध्यम से स्वयं को अभिव्यक्त किया।

वहीं जाकिर हुसैन मोईन और कहकशां के कैनवास पर बिखरे रंगों की भी निराली छटा दिखाई दी।

वरिष्ठ चित्रकार चंद्र रसाइली ,डॉक्टर संजीव चेतन, ओम प्रकाश ,संतोष, मोईन आदि के अपनी-अपनी विशिष्ट शैलियों में बनाए गए चित्र कला पारखियों, साधकों और छात्रों को खूब भाए.I

और उनकी कार्य शैली सृजन के नए आयाम हासिल करने के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी।

सिंगापुर से आई दीपा ने यद्यपि समयाभाव में अपनी कला से एक कुमाऊनी दुल्हन को दर्शाया। युवा और स्थापित चित्रकार मेघा ,राहुल, मुक्ता और शैफाली ने भी अपनी कला का भरपूर प्रदर्शन किया और सभी आगंतुकों की प्रशंसा प्राप्त की।

शमशेर वारसी, सुरेंद्र और जय ने अपनी लीक से हटकर बनाए चित्रों से सृजन को एक नई दिशा दी। भारत भंडारी के घोड़े और नख-चित्र भी खूब सराहे गए।

अमीर घिसिंग ,संजय डॉक्टर राजकुमार पांडे, पवनेंद्र तिवारी, आदि अन्य चित्रकारों ने भी अपने विशिष्ट चित्रों के माध्यम से कार्यशाला में उल्लेखनीय योगदान दिया।