एक झील… जहां मछलियां नहीं बल्कि तैरते हैं, नर कंकाल

Chamoli Dehradun Uttarakhand


BIG NEWS TODAY : (Report: Anuradha Singh ) प्राकृतिक सुंदरता का नजारा लेना आखिर किसे नहीं पसंद प्रकृति के विभिन्न रंगों को देखकर मन को जो शांति मिलती है उसके लिए हम सभी प्रकृति का दीदार करने अक्सर निकल पड़ते हैं और अगर बात झील के किनारे बैठ के प्रकृति की शांति को महसूस करना हो तो हम सब ऐसी जगह पर जाना पसंद करते हैं लेकिन अगर सोचिए कि आप झील के किनारे बैठकर प्रकृति का आनंद उठा रहे हो ,तभी आपकी नजर झील में तैरती हड्डियों पर पड़े।

क्या हुआ, हमारी बात सुनकर आप चौक क्यों गए! चौकिये मत मत क्योंकि उत्तराखंड में एक ऐसी झील मौजूद है जहां मछलियां नहीं बल्कि नर कंकाल तैरते हैं।

कौन सी है वह झील और कहां मौजूद है और क्या है झील में नर कंकाल तैरने का रहस्य आइये हम आपको बताते हैं…

हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड में लगभग 5029 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक ग्लेशियर झील की जिसका नाम है रूप कुंड कहा जाता है कि जब यहां बर्फ पिघलती है तो यहां सदियों से रूपकुंड झील में तैरते नर कंकाल नजर आते हैं।

उत्तराखंड के चमोली में स्थित इस झील की खोज पहली बार 1942 में एक गेम रिजर्व रेंजर ने की थी। पहली बार जब झील का खुलासा हुआ तो यह अनुमान लगाया गया कि शायद रूपकुंड में तैरते नर कंकाल जापानी सैनिकों के हो सकते हैं जो इस क्षेत्र में घुस गए थे, तत्कालीन अंगेर्जी सरकार ने इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों को वहां भेजा तो शोधकर्ताओं ने पाया की यह नर कंकाल जापानी सैनिकों के नहीं हो सकते क्योंकि यह कई सदियों पुराने थे।

हालांकि रूपकुंड में तैरते नर कंकालों का खुलासा तो नहीं हो पाया लेकिन इसके पीछे कई कहानियां प्रसिद्ध है जिनमें से एक कहानी यह भी है की कई सदियों पहले एक राजा रानी झील के पास स्थित नंदा देवी के मंदिर जा रहे थे और माँ नंदा देवी के मंदिर पहुंचने के लिए उन्हें एक बहुत बड़े पहाड़ को पार करना था उन्होंने पहाड़ चढ़ने का फैसला तो किया मगर नंद देवी के दर्शन के लिए अकेले न जाकर अपने नौकर और सेवकों को भी साथ ले जा रहे थे कहा जाता है कि यह देखकर नंदा देवी बहुत आक्रोशित हो गई इसके बाद उनका गुस्सा राजा के उस काफिले पर बिजली बनकर गिरा और बिजली गिरने के कारण सब की मौत हो गई।

एक कहानी यह भी कहीं जाती है कि शायद यह नर कंकाल किसी महामारी की चपेट में आए लोगों के भी हो सकते हैं, जो की एक बड़ी महामारी की चपेट में आने के कारण मर गए होंगे। वहीं कुछ लोग यह भी कहते हैं कि शायद यह नर कंकाल आर्मी वालों के होंगे जो बर्फ के तूफान में फंसकर मर गए होंगे और बर्फीले पानी की वजह से उनका शरीर सैकड़ों वर्षों से सुरक्षित है।

दिलचस्प बात यह है कि इस झील में ज्यादातर समय बर्फ होने की वजह से झील का पानी जमा हुआ रहता है मगर जब बर्फी पिघलती है तो इंसानी नर कंकाल के साथ कभी-कभी पूरे इंसानी अंग भी दिखाई देते हैं इस झील में अब तक 600 से 8 00 कंकाल मिल चुके है.

रूप कुंड के ऊपर कई शोधकर्ताओं ने रिसर्च की रिसर्च में यह पाया गया कि यहां कंकाल सिर्फ भारत के ही नहीं बल्कि ग्रीस, साउथ, ईस्ट एशिया और कई विभिन्न जगहों से आए लोगों के हैं साथ ही यहां मौजूद कंगाल अलग-अलग नस्लों के हैं.