OPS Vs NPS: विपक्ष ने उठाई पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग, नेता प्रतिपक्ष बोले ‘कर्मचारियों को 2005 के बाद से पेंशन नहीं जबकि नेताओं-अधिकारियों को पुरानी पेंशन जारी है!

Dehradun Delhi Uttarakhand


गैरसेण- (Big News Today) विपक्ष ने पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग उठाई है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्कीम) एक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है…देशभर में सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए मुखर हैं..वे समय-समय पर ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लागू करने के लिए सरकार पर दबाव बनाते रहते हैं. यही वजह है कि राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में कांग्रेस की सरकारों ने पुरानी पेंशन लागू करने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है।

आर्य का कहना है कि जो कर्मचारी 2005 के बाद भर्ती हुए हैं, उन्हें पेंशन नहीं मिलती है और ना मिलने की कोई आशा है। जबकि नेताओं को , आईएएस को, पीसीएस और जजों को 2005 के बाद भी पेंशन मिलती है। यह अत्याचार है। एमपी एमएलए को भी ओल्ड पेंशन मिलती है विधायिका और न्यायपालिका को भी पुरानी पेंशन मिलती है। इसके साथ ही सेना को भी ओल्ड पेंशन दी जाती है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अगर न्यू पेंशन स्कीम ही इतनी अच्छी है तो यह लोग खुद पर इसे लागू क्यों नहीं करते ! सेना को और न्यायपालिका को नई पेंशन स्कीम के दायरे में क्यों नहीं रखते ! नई पेंशन स्कीम और कुछ नहीं, यह सिर्फ और सिर्फ कर्मचारियों का शोषण है। अगर भाजपा सरकार एक देश, एक विधान और एक संविधान की पक्षधर है तो उसको एक ही पेंशन स्कीम पूरे देश में लागू करनी चाहिए।
राज्य सरकार ये जवाब दे सकती है की ये केंद्रीय विषय है तो मैं आपकी जानकारी में लाना चाहूंगा कि संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्य सूची का बिन्दु संख्या 42 स्पष्ट कहता है कि स्टेट पेंशन जो राज्य की समेकित निधि (कंसोलिडेटेड फंड) से दी जाएंगी उन पर राज्य सरकार का कानून बनाने का अधिकार है। ऐसे में आपका यह कहना उचित नहीं होगा कि ओल्ड पेंशन स्कीम केन्द्र सरकार द्वारा ही दी जा सकती है।

विधायक मनोज तिवारी ओपीएस के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि राज्य के कर्मचारियों ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा कि 1 अक्टूबर 2005 से नई पेंशन योजना लागू कर दी जाएगी। कर्मचारी न्यूनतम वेतन में भी अपनी ड्यूटी निष्ठा से निभाते हहैं और राज्य को चलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन अब उसी कर्मचारी को नई पेंशन स्कीम लागू होने से जीपीएफ का लाभ नहीं मिल रहा है, साथ ही उसकी पेंशन भी बहुत कम हो गई है। विधायक ने बताया कि राज्य में 86882 कर्मचारी 2005-21 तक नई पेंशन स्कीम से आच्छादित है,  जिसमें 76 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद अपने जीपीएफ और पेंशन के भरोसा बच्चों की शादी, मकान बनाना, बीमारी आदि का सहारा देखता है। विपक्ष ने कहा कि जब राजस्थान और हिमाचल जैसे राज्य पुरानी पेंशन स्कीम लागू कर सकते हैं तो उत्तराखंड में क्यों नहीं लागू हो सकती है। विपक्ष ने कर्मचारियों का पैसा सरकार द्वारा शेयर मार्केट में लगाने का आरोप भी लगाया।