VB G – RAM G : “गरीबों को खत्म करने के लिए सबकुछ हो रहा है”- यशपाल आर्य

Dehradun Delhi Mussoorie Uttarakhand


देहरादून/ हल्द्वानी: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि महात्मा गांधी रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट का नाम बदलकर विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) रख दिया गया है। नया कानून (VB-G RAM G) मनरेगा के “काम के अधिकार” के मूल सिद्धांत को कमजोर कर रहा है।

Amazon Product

Storite Women’s Tote Bag With Leather Handles & Embroidery Printed Handbag With Zip Pockets, Shoulder Tote Bag And Handbag For Office And College (27x24x9.5Cm)

🛒 Check Latest Price on Amazon, & Many More Latest Designs.
———————— ————————
Amazon Product

EXOTIC Women Feminina Solid Top Handle Tote Hand Bag

🛒 Check Latest Price on Amazon, & Many More Latest Designs.
————————
Amazon Product

Lavie Women’s Faroe Satchel Handbag for Women | Satchel Bag for Work | Ladies purse | Stylish Shoulder Bag | Gift For Women

🛒 Check Latest Price on Amazon, & Many More Latest Designs.
————————
Amazon Product

Lavie Women’s Mono Ushawu Small Satchel Handbag for Women | Satchel Bag for Work | Ladies purse | Stylish Shoulder Bag | Gift For Women

🛒 Check Latest Price on Amazon, & Many More Latest Designs.

उन्होंने कहा कि मनरेगा से सिर्फ महात्मा गांधी जी का नाम नहीं हटाया गया है, इसके अलावा भी कई परिवर्तन अत्यंत चिंताजनक है। पहले इस योजना में केंद्र सरकार का अंशदान 90 प्रतिशत और 10 प्रतिशत अंशदान राज्य सरकार का था। मनरेगा अकुशल उद्यमियों के लिए स्कीम थी, जिसका बजट केंद्र सरकार के पास था, लेकिन अब सिर्फ 60 प्रतिशत अंशदान केंद्र का होगा और 40 प्रतिशत अंशदान राज्य सरकार का होगा।

यशपाल आर्य ने कहा कि MGNREGA मांग पर आधारित एक स्कीम थी, अगर कोई मजदूर काम मांगता था, तो केंद्र को उसे काम देकर उसका भुगतान करना पड़ता था, नई स्कीम में डिमांड के आधार पर काम नहीं मिलेगा। अब काम केंद्र के पूर्व-निर्धारित मानक और बजट आवंटन के आधार पर ही मिलेगा। फंड खत्म, तो अधिकार खत्म। अगर फंड से ज्यादा काम दिया तो उसका भुगतान राज्य सरकार को करना होगा।

उन्होंने कहा कि रोजगार की लीगल गारंटी स्कीम को बदलकर, अब केंद्र द्वारा संचालित प्रचार योजना में बदल दिया गया है, जिसमें खर्च राज्य करेंगे। मनरेगा में काम ग्राम सभाओं और पंचायतों के जरिए होता था, जो स्थानीय जरूरतों के आधार पर काम की योजना बनाती थीं। इससे लोकतंत्र की पहली कड़ी पंचायतों को और भी मजबूती मिलती थी।

नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि नई स्कीम में जीआईएस उपकरण, पीएम गति शक् और केंद्र के डिजिटल नेटवर्क अनिवार्य हैं। स्थानीय प्राथमिकताएं अब विकसित भारत नेशनल रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक से फिल्टर होंगी। इसमें बायोमेट्रिक्स, जियो-टैगिंग, डैशबोर्ड्स और ऑडिट जरूरी है। साफ है, वह लाखों ग्रामीण मजदूर जो इतनी तकनीक नहीं समझते हैं, वो काम से वंचित रह जाएंगे।उन्होंने कहा कि इसके साथ ही किसी राज्य को कितना बजट मिलेगा, ये केंद्र सरकार तय करेगी। इसके मानक होंगे, लेकनि हम जानते हैं इस मामले में विपक्ष की सरकारों को क्या मिलेगा और किस आधार पर मिलेगा यह तय किया जायेगा।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मजदूरों को खेती किसानी के सीजन में दो महीने काम नहीं मिलेगा। रोजगार गारंटी का ये एक्ट दो महीने तक रोजगार की कोई गारंटी नहीं देगा। मतलब मजदूर को उसके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया। अब उन्हें काम देने वाला थोड़े से अनाज पर काम करवाए या किसी और तरह से शोषण करे, सरकार को फर्क नहीं पड़ता। किसी योजना का नाम बदलना सिर्फ कागजी बदलाव नहीं होता-इस पर सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, जिनका सीधा बोझ जनता पर पड़ता है।

उन्होंने कहा कि असली सवाल यह है कि क्या नाम बदलने से गाँव के मजदूर की जिंदगी बदलेगी? क्या इससे बेरोजगारी या महंगाई कम होगी? यह बदलाव तो मनरेगा की रोजगार गारंटी की आत्मा पर सीधा हमला है। फंड घटाना, मांग आधारित काम खत्म करना और राज्यों पर बोझ डालना, सब मिलकर मजदूर को असुरक्षित बना देता है।

यशपाल आर्य ने कहा कि देश में गरीबी खत्म करने की दिशा में एक भी काम नहीं हो रहा है, गरीबों को खत्म करने के लिए सबकुछ हो रहा है। धन का केंद्रीय करण कर सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों की आय के आधार पर 90 प्रतिशत लोगों को विकसित भारत का सपना दिखाकर मूर्ख बनाया जा रहा है। जब देश की जनता रोजगार और राहत की उम्मीद कर रही है, तब सरकार को प्रतीकों की राजनीति छोड़कर जमीनी हकीकत पर काम करना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि ऐसे प्रावधान का कांग्रेस पार्टी पुरजोर विरोध करेगी। करोड़ों गरीब, मजदूरों और कामगारों के हकों को हम सत्ता के हाथों छिनने नहीं देगें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *