

देहरादून (Big News Today)
उत्तरकाशी जिले की पुरोला विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल इन दिनों एसडीएम सोहन सिंह से विवाद के कारण सुर्खियों में हैं। विधायक पर आरोप लगाकर थाने में तहरीर देने वाले एसडीएम का ट्रांसफर हो गया है और पहली बार के विधायक दुर्गेश्वर लाल ने इस मामले में अपने सख्त तेवर दिखाएं हैं। विधायक ने साफ कहा है कि एसडीएम की कार्यशैली और तौर-तरीके सही नहीं हैं। पढ़िए विधायक दुर्गेश्वर लाल का साक्षात्कार।
प्रश्न.1- विधायक जी आपके क्षेत्र के एसडीएम ने आपके खिलाफ थाने में तहरीर दी, ये विवाद सुर्खियों में है, आखिर ऐसी नौबत क्यों आई.?
उत्तर- सबसे पहले मैं आपको (मीडिया) और प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री पुष्कर सिह धामी का धन्यवाद करना चाहता हूँ जिन्होने एक संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार को सहा नहीं जाएगा। देखिए हमारे बीच में कोई विवाद नहीं था, वो एक अधिकारी हैं और मैं एक जनप्रतिनिधि हूं…लेकिन उसने वहां पर जिस प्रकार से भ्रष्टाचार को उत्पन्न कर रखा था, लोगों के साथ ठेकेदारी प्रथा को खड़ा कर रखा था, मिलने आने वाले लोगों को परेशान करते थे, मिलते नहीं थे आज-कल पर टाल देते थे, उनकी तमाम भ्रष्टाचार की नीतियां थी जो आए दिन सामने आती थी जनता ने मुझे कई बार शिकायत की थी। मैने उस संबध में बात रखी लेकिन उन्होंने इसका भी कभी संज्ञान नहीं लिया, और लेकिन उलटा मुझे शिष्टाचार सिखाने की बात कर रहे थे। इस सब मामले की वजह से हमारे प्रदेश नेतृत्व ने उस पर संज्ञान लिया। मैं पुन: प्रदेश नेतृत्व का धन्यवाद देता हूँ कि जिन्होने भ्रष्टाचार मुक्त का जो नारा दे रखा है उसका सबसे पहला उदाहरण यही है।
प्रश्न.2- एसडीएम ने अपने आरोप पत्र में यह कहा है कि आप उनको रात में बुला रहे थे, उनको आशंका थी कि उनके साथ कोई अप्रिय घटना या मारपीट हो सकती थी, उनको डर लग रहा था। क्या आप गुस्से में थे कि एसडीएम के साथ कोई अभद्रता हो सकती थी?
उत्तर- देखिए मैं आपको एक बात बता देता हूं कि आप मेरे स्वभाव के बारे में किसी से भी पूछ लीजिये। लेकिन उन्होंने अनर्गल बयानबाजी की, गलत तरीके से मेरे पर आरोप लगाए, उनका सोशल मीडिया चलाने वाले एजेंटों ने मेरी छवि को धूमिल करने का काम किया, उसका मेरे पास एविडेंस है मेरे कार्यकर्ता बंधुओं के पास रिकॉर्डिंग है, क्योंकि मैं जनता के बीच का आदमी हूं। उन्होंने वहां पर अतिक्रमण का काम कराया और पर्सनल प्रॉपर्टी को तुड़वाने का काम किया है, वो सब एसडीएम की शय में हुआ है। और जो वो रात में काल करने की बात कर रहे हैं वो मेरी कॉल डिटेल निकाल लें, किस समय मैंने कॉल की थी। मेरी शाम को 6 बजकर 55 मिनट पर बात हुई थी और उसने अपनी तहरीर में 10 बजे का समय लिखा है, तो इस बात की जांच की जाए और मैं तो मांग करता हूं की उसकी संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि वो सरकारी धन का दुरुपयोग करता था। एसडीएम का घर विकासनगर में था और वो वहां से सरकारी गाड़ी सरकारी ड्राइवर और सरकारी धन का दुरुपयोग करता था, प्रदेश को गुमराह करता था, ऐसे लोगों को सबक मिलनी चाहिए ताकि आने वाले समय में इस प्रकार से कोई आदमी ना सोचे।
प्रश्न.3- पहले भी कई बार हुआ है कि जनप्रतिनिधियों और अफसरों की बीच मतभेद उभरे हैं लेकिन इस प्रकार विधायक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तहरीर का संभव ये पहला मामला है, किस रूप में देखते हैं ये दोनों के बीच का संघर्ष?
उत्तर- देखिए मैं आपको बता दूं कि आप उसकी हिम्मत देखिएगा, अगर एक एसडीएम एक विधायक के खिलाफ तहरीर दे सकता है, एफआईआर दर्ज करा सकता है तो वो आम जनमानस के बारे में क्या सोचता होगा, क्या वो लोगों के काम करता होगा? यही तो बात है कि वो लोगों को कुछ नहीं समझता था, लोगों को डरा धमकाकर बात करता था, उसकी तानाशाही थी। मैं कहता हूं कि आदरणीय पुष्कर सिंह धामी जी और यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में अब ऐसा नहीं होने वाला है।
प्रश्न.4- तो क्या यही सब वजह रही कि आपने पुरोला एसडीएम का ट्रांसफर करवा दिया?
उत्तर- मेरे हाथ में ट्रांसफर करना नहीं था, जैसा उसने गलत काम किया सरकार ने इसका संज्ञान लिया, उसके गलत काम का उसको फल मिलना ही चाहिए।
प्रश्न.5- पिछली सरकारों में भी इस प्रकार अफसरों और जनप्रतिनिधियों के साथ मतभेद देखने को मिलते रहे हैं, मंत्रियों के साथ भी देखने को मिले हैं…इसको आगे कैसे देखते हैं?
उत्तर- देखिए मैं आपको एक बात बताता हूं, देश में, प्रदेश में या मेरी विधानसभा क्षेत्र ही क्यों ना हो, जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता के लिए चुने गए हैं, हम जनता के आदमी हैं और ये जनता की सरकार है, हम किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं हैं बल्कि जनता का काम करुंगा और अगर कोई मेरे क्षेत्र के खिलाफ या मेरी जनता के खिलाफ अगर कोई अन्याय करेगा तो उसको बख्शा नहीं जाएगा।
प्रश्न.6- यदि किसी विधायक के साथ या अन्य जनप्रतिनिधि के साथ किसी अफसर के बड़े मतभेद हों तो आपके हिसाब से उसको क्या करना चाहिए?
उत्तर- देखिए मैं आपको एक बात बताता हूं, विधायक हों या कोई अन्य जनप्रतिनिधि हों या फिर कोई अफसर हो, हमारा कोई मतभेद नहीं होता है। उन्होने भी नौकरी ज्वाइन करते समय जनता की सेवा करने की बात करते हैं और एक जनप्रतिनिधि जब चुनाव में जाता है तो वो भी जनता की सेवा की बात कहता है कि मैं आपकी तेल पानी, आपकी सड़कें ठीक करुंगा, आपके लिए शिक्षा की व्यवस्था करेंगे। अगर कोई इस विकास के काम में अवरोध पहुंचाता है तो ये कोई मतभेद नहीं है बल्कि इसका मतलब है कि वो विकास विरोधी है और विकास विरोध के साथ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।