नई दिल्लीः यदि आप भी अपने बच्चे को केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाना चाहते हैं तो ये खबर खास आपके लिए ही है. केंद्रीय विद्यालय में यदि आप अपने सांसद के चक्कर काट रहे हैं, तो तुरंत बंद कर दीजिए. क्योंकि अब सांसद भी आपके बच्चे को केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन नहीं दिला पाएगा. जी हां, केंद्रीय विद्यालय संगठन ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए सांसद और जिलाधिकारी कोटे पर बैन लगा दिया है. इससे पहले किसी भी केंद्रीय विद्यालय में सांसद और जिलाधिकारियों के लिए 10 सीटों का कोटा रहता था. अब केंद्रीय विद्यालय संगठन ने इस कोटे के तहत दिए जाने वाले दाखिलों पर रोक लगा दी है. दरअसल, बीते हफ्ते लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने देश के केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा की सीटों को बढ़ाने या इसे खत्म करने की मांग सदन के सामने रखी थी, तभी से इसको लेकर सियासी चर्चा शुरू हो गई थी. कई सांसदों ने इस कोटे को भेदभावपूर्ण बताकर खत्म करने की मांग की थी, तो कई इसे खत्म करने के बजाय सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे. इसके बाद इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सभी दलों को चर्चा करने का निर्देश दिया था. चर्चा के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि सदन इस पर फैसले करेगा कि कोटे को बढ़ाया जाए या फिर खत्म कर दिया जाए. इसके बाद केंद्र सरकार का यह फैसला आया है. अब तक हर सांसद 10 और विद्यालय प्रबंधक समिति अध्यक्ष के नाते हर कलेक्टर अपने जिले के प्रत्येक केंद्रीय विद्यालय में न्यूनतम 10 छात्रों का रजिस्ट्रेशन अपने कोटे से करा सकता था.


