
कांठ/मुरादाबाद (Report by: Kaleem Ansari & Neeraj Bishnoi)
काँठ प्रशासन की लापरवाही से प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण ग्राम पंचायत स्तर पर खेल के मैदान बनाने की योजना दो साल बाद भी परवान नहीं चढ़ पाई है इसके चलते ग्रामीण अंचलों के युवा खेलों के प्रति उदासीन नजर आ रहे हैं और पुलिस व अन्य सैन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं ।
लगभग दो वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार ने काँठ तहसील के ग्रामीण अंचलों के युवाओं का रुझान खेलों के प्रति करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर खेल के मैदान बनाने के लिए योजना आरंभ की थी ,ताकि ग्रामीण क्षेत्रों का युवा वर्ग खेलों की ओर आकर्षित हो इससे उनके स्वास्थ्य स्तर में भी सुधार आएगा और पुलिस में सैन्य बलों में भर्ती होने के लिए उनकी दौड़ ऊंची कूद लंबी कूद आदि की तैयारियां भी अच्छी तरह हो सकेंगी !
इसके अलावा सरकार का यह भी उद्देश्य था कि बड़े-बड़े शहरों में तो जगह जगह पार्क बने होते हैं जहां पर प्रातः व्यवसाय को कुछ क्षण वहां बिता कर नागरिक अपने को प्रसन्न चित्त कर लेते हैं परंतु गाँवो में ऐसा कुछ भी नहीं होता और गाँव के लोग सुबह व शाम को अपने घरों में मजबूर रहने को विवश रहते हैं , और उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता रहता है अगर ग्रामीण क्षेत्रों में पार्क खेल के मैदान बने होते तो वह भी खेल कूद कर फुर्सत के क्षणों में राहत महसूस करते तहसील कॉठ क्षेत्र में 201 ग्राम शामिल है जिनमें से 52 गांव गैर अवाद बताए जा रहे हैं , जबकि 82 ग्राम पंचायतें हैं ग्राम शिमला महेंद्री सिकंदरपुर अलीपुरा खालसा समदपुर गोविंदपुर ज्ञानपुर मुख्यापं रपुर नवादा सहित कुल 39 ऐसे गाँव हैं जिनमें खेल के मैदान के नाम भूमि आवंटित है ,परंतु इनमें से भी दर्जनों ऐसे गाँव है जहां पर लोगों ने खेल के मैदान की भूमि पर अवैध कब्जे कर रखे हैं ।
इन गाँवो में से जिन गाँवो में खेल के मैदान बने हुए हैं वहां भी मानक के अनुसार सफाई आदि नहीं हो रही है और ना ही मैदान के किनारे बेंच आदि बनाई गई है जहां दो पल बैठकर आराम किया जा सके सरकार ने यह खेल के मैदान ग्राम सभा की जमीन चिन्हित कर उन्हें गाँवो के नजदीक लाने और जिस किसी भी ग्रामीण की जमीन गांव के नजदीक आ रही थी ।
उन्हें दूसरे स्थानों पर लेखपालों द्वारा उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए थे परंतु इस कार्य में तहसील प्रशासन भी रुचि नहीं ले रहा है लेखपाल नापतोल की झंझट में भूमि की पहचान करने से बच रहे हैं तो ग्राम प्रधान किसी ग्रामीण से पंगा ना लेने की चाह में उदासीन बने हैं क्योंकि अगला ग्राम पंचायत चुनाव भी तो लड़ना है सरकार ने आदेश तो जारी कर दिए हैं परंतु उसे अमलीजामा पहनाने का कार्य तहसील प्रशासन ने ग्राम प्रधानों को है जबकि सरकार ने खेल के मैदानों का आवश्यक सौंदर्यीकरण कराने में रखरखाव के लिए आवश्यक धनराशि देने का प्रावधान भी कर रखा है 201 ग्रामों के सापेक्ष मात्र 39 ग्रामों में खेल के मैदान के नाम भूमि आवंटित है इसमें भी दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जे कर रखे हैं खेल के मैदान बनाए जाने से सरकारी आदेश पर सवालिया निशान लग रहा है या यह भी कहने में संकोच नहीं होगा कि सरकार भी अपने आदेशों का पालन कराने के लिए गंभीर नहीं है वरना अब तक योगी सरकार के सख्त होने से यह योजना काफी समय पूर्व पूर्ण हो जाती काँठ तहसील क्षेत्र के सभी ग्रामों में खेल के मैदान पार्क ना बने होने से युवा वर्ग खेलों के प्रति उदासीन नजर आ रहा है क्योंकि सड़क किनारे व्यायाम करते अनेक स्थानों पर युवा वाहनों की चपेट में आकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर चुके हैं।
गांव-गांव खेल के मैदान बनाने की योजना रफ्तार ना पकड़ पाने के फल स्वरुप ग्रामीण अंचलों से निकलने वाली खेल प्रतिभाओं पर ब्रेक सा लग गया है ।
ग्राम मथाना निवासी इंटर के प्रदेश स्तरीय टॉप 10 के छात्र सनी सिंह ग्राम हीरापुर बेगमपुर निवासी सुमित सिंह रोहित कुमार अक्षय यादव ने बताया कि खेल के मैदान ना होने के कारण उन्हें दूसरे दूर के ग्रामों में खेलने के लिए जाना पड़ रहा है जबकि सरकार का मानना था कि ग्रामीण अंचलों में खेल के मैदान बनाने से ग्रामीण प्रतिभाएं निकलकर आएंगी और उन्हें पहले ग्राम स्तर पर फिर ब्लॉक स्तर पर इसके बाद जिला स्तर तथा प्रदेश स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर लेवल की प्रतियोगिताओं में शामिल कराकर उनका भविष्य उज्जवल बनाया जाएगा परंतु यह योजना प्रशासन की कम गोरी से केवल कागजों में ही सिमट ही नजर आ रही है
एसडीएम कॉठ जगमोहन गुप्ता ने बताया कि तहसील का क्षेत्र में 39 गांव में खेल के मैदान की भूमि आवंटित है कुछ ग्रामों में लोगों ने खेल के मैदान की भूमि पर अवैध रूप से कब्जे कर लिए हैं इन सभी गाँवो के लेखपालों को निर्देश दिए गए हैं कि वह खेल के मैदान की भूमि पर किसका अवैध कब्जा है इसकी रिपोर्ट दें खेल के मैदान की भूमि को खाली कराया जाएगा।