यूसीसी के विरोध में न्यायालय में जाएगी जमियत, जनता से की शांति बनाए रखने की अपील

Dehradun Delhi Mussoorie Uttarakhand


BIG NEWS TODAY : देहरादून। प्रदेश में लागू की गई समान नागरिक संहिता को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार देते हुए जमीअत उलेमा ए हिंद ने इसे रद्द किए जाने की मांग की हैं। जमीअत उलेमा ए हिंद उत्तराखंड की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में कहा गया कि हाल ही में मुख्यमंत्री ने 27 जनवरी 2025 से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा की है, जो देश के लोकतंत्र के विरुद्ध है तथा संविधान में दी गई स्वतंत्रता के भी खिलाफ हैं। संविधान के अनुच्छेद  25, 26 में धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है, समान नागरिक संहिता, संविधान के अनुसार अपने धार्मिक नियमों के पालन की स्वतंत्रता को समाप्त करती है। यह कानून पवित्र कुरान के नियमों, विवाह, तलाक, विरासत आदि में हस्तक्षेप करता है।

जमीअत के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना हुसैन अहमद क़ासमी ने कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि राज्य की जनता यूसीसी को पहले ही निरस्त कर चुकी है और लॉ कमीशन ने भी इसको गैर जरूरी करार दिया है, इसके बावजूद भी राज्य सरकार अवाम और लॉ कमीशन की राय के खिलाफ यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू करने पर अड़ी हुई है जिससे पता चलता है की हुकूमत को आवाम की जरूरत और उनकी राय की परवाह नहीं है।

जमीयत उलेमा उत्तराखंड के सदस्यों की बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड को खारिज करते हुए सरकार से इस अलोकतांत्रिक बिल को वापस लेने की मांग की गई है। बताया गया कि जमीयत उलेमा इसके खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने की पूरी तैयारी कर चुकी है, और जल्द ही इस कानून को अदालत में चुनौती दी जाएगी। बैठक में समिति सदस्यों ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास किए।  समान नागरिक संहिता के जरिए कुरान व शरियत के अहकाम निकाह, तलाक, इददत, विरासत वगैरह में मुदाखलत मंजूर नहीं।

 जमीयत उलमा ने मुसलमानों से अपील की है कि वे हर हाल में इस्लाम के नियमों का पालन करें और पवित्र कुरान के अनुसार जीने की कोशिश करें। जमियत उलमा ने लोगों से शांतिपूर्ण रहने और कोई भी गैरकानूनी कार्रवाई न करने की अपील की है।