देहरादून, बिग न्यूज़ टूडे: कन्या गुरुकुल परिसर, देहरादून में भारतीय भाषा उत्सव के अंतर्गत ‘साहित्य, लोक परम्परा और लोककला ‘ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. निशा ने किया। कार्यक्रम के दौरान परिसर की समन्वयक प्रो. रेणु शुक्ला ने छात्राओं को भारतीय भाषाई विविधता की जानकारी देते हुए बताया कि भाषा हमें जोड़ने का कार्य करती हैं। ज्ञात है कि भारतीय भाषा उत्सव तमिल महान कवि सुब्रह्मण्यम भारती के जन्म दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इसी को स्मरण रखते हुए प्रो. हेमलता के.ने सुब्रह्मण्यम भारती की पांचाली शब्दम व कुइल पाटु कविताओं के बारे में छात्राओं को बताया साथ ही उन्होंने बताया की सुब्रह्मण्यम भारती ने उत्तर और दक्षिण के बीच सेतु का कार्य कर स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने व्याख्यान में छात्राओं को बताया कि सुब्रह्मण्यम भारती ने अपने साहित्य के माध्यम से समाज को वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश दिया और जातिवाद व वर्ण व्यवस्था का विरोध करते हुए महिला समानता की बात भी की।

इसी क्रम में प्रो हेमन पाठक ने पूर्वांचल की लोक परंपराओं से छात्राओं को परिचित कराया। बलबीर कौर ने पंजाबी लोक परम्परा और लोकगीतों के विषय पर प्रकाश डाला। डॉ अर्चना डिमरी ने गढ़वाल की लोककला व लोक परंपराओं पर प्रकाश डालने के साथ ही गढ़वाली लोकगीत पर भी प्रस्तुति दी। लोक परम्परा व लोककला पर आधारित इस कार्यक्रम के उपलक्ष्य में देहरादून परिसर की छात्राओं द्वारा दीवार पर उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोककला ऐपण को उकेरा गया। साथ ही छात्राओं ने कुमाऊं के प्रसिद्ध कौथिक मेले, शिवजी जागर पर प्रस्तुति दी।

छात्राओं ने विभिन्न लोकनृत्य जैसे कश्मीरी,बंगाली, राजस्थानी, हरयाणवी, पंजाबी और हिमाचल पर भी प्रस्तुति दी। इसके साथ ही छात्राओं ने विवाह, जन्म संस्कार, छठ पर्व व टिहरी झील के बनने पर लोगों की व्यथा को अभिव्यक्ति देते लोकगीतों को गाकर कार्यक्रम में समा बांध दिया।

कार्यक्रम में प्रो. निपुर, डॉ. नीना गुप्ता, डॉ सविता, डॉ. ममता, डॉ सरिता नेगी, डॉ रीना वर्मा, डॉ रचना पांडेय, डॉ बबिता, डॉ रचना, डॉ, रेखा के साथ ही शोधार्थी व छात्राएं उपस्थित रहीं।

