डेंगू का दूसरा वैरिएंट ज्यादा खतरनाक जानिए इसके क्या क्या है लक्षण

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डेंगू और बुखार से फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा ही नहीं दूसरे हिस्से में भी मौत हो रही है। मादा एडीज इजिप्सी मच्छर से होने वाली यह बीमारी प्रदेश के विभिन्न हिस्से में तेजी से बढ़ रही है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत  में डेंगू के चार प्रमुख वैरिएंट पाए जाते हैं।

जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है उन पर दूसरे वैरिएंट की मार ज्यादा पड़ती है। ऐसे लोगों के डेंगू होने पर उनकी जान बचाना मुश्किल होता है। ऐसे मरीजों के उपचार में  ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है। उनके प्लेटलेट्स सहित अन्य पैरामीटर की निगरानी करते हुए दवाएं दी जाती हैं। पिछले दिनों कई ऐसे मरीज मिले हैं, जिनमें इसके दूसरे वैरिएंट का हमला था।

प्रदेश में डेंगू के मरीजों के मिलने का सिलसिला तेज हो गया है। डेंगू और बुखार से फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा ही नहीं दूसरे हिस्से में भी मौत हो रही है। मादा एडीज एजिप्टी मच्छर से होने वाली यह बीमारी प्रदेश के विभिन्न हिस्से में तेजी से बढ़ रही है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत  में डेंगू के चार प्रमुख वैरिएंट पाए जाते हैं। डेंगू एक, डेंगू दो, डेंगू तीन और डेंगू चार। डेंगू एक में जहां बुखार के साथ प्लेटलेट्स गिरते हैं वहीं डेंगू दो में रक्तस्राव, बुखार और शॉक लग सकता है। डेंगू तीन में शॉक बगैर बुखार और डेंगू चार में शॉक और बगैर शॉक के बुखार हो सकता है।

शोध में जताई गई है आशंका
इंफेक्सन जेनेटिक्स एंड इवॉल्यूशन नामक पत्रिका में प्रकाशित अनुवांशिक अध्ययन में भी यह आशंका जताई गई है कि इसके वैरिएंट में हो रहे बदलाव की वजह से यह गंभीर बीमारी हो गई है। इस साल भी डेंगू के नए वैरिएंट की आशंका जताई जा रही है।

जिन्हें ज्यादा पसीना, उसे ज्यादा खतरा
विभिन्न शोध रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि मच्छरों को कार्बन डाई ऑक्साइड, लैक्टिक एसिड की अधिकता वाले लोग अधिक पसंद हैं। जो लोग ज्यादा कसरत करते हैंअथवा ज्यादा मेहनत करते हैं उनके पसीने में कार्बन डाइआक्साइड और लैक्टिव एसिड की अधिकता होती है। ऐसे लोगों के पसीने की महक से ये मच्छर उनके नजदीक ज्यादा आते हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है, उन्हें ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। एक बार डेंगू होने पर दो से तीन साल तक उनमें एंटीबॉडी रहती है। लेकिन इस बीच डेंगू के दूसरे वैरिएंट ने हमला किया तो मरीज की जान का जोखिम बढ़ जाता है। पिछले दिनों कई ऐसे मरीज मिले हैं, जिन्हें गंभीरावस्था में भर्ती कराया गया। ऐसे मरीजों के हर पैरामीटर को ध्यान में रखकर इलाज करना पड़ता है