देहरादून (Big News Today)
उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डाॅ0 प्रतिमा सिंह ने जोशीमठ त्रासदी के राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने यदि 2013 की केदारनाथ आपदा तथा 2020-21 में रैणी आपदा से सबक लिया होता तो आज जोशीमठ के निवासियों के सामने बेघर होने की नौबत नहीं आती।
एक बयान जारी करते हुए डाॅ0 प्रतिमा सिंह ने कहा है कि भूवैज्ञानिकों द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों के संवेदनशील क्षेत्रों में भारी निर्माण कार्यों पर रोक लगाये जाने की बात करने के बावजूद ऐसे क्षेत्रों में लगातार भारी निर्माण कार्य और बड़ी-बड़ी सुरंगे खोदने पर रोक लगाई होती तो आज राज्य का एक ऐतिहासिक, पौराणिक तथा सनातन धर्म के आदिगुरू संकराचार्य द्वारा स्थापित ज्योतिर्मठ नगरी को इस त्रासदी के नुकसान से बचाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि जहां केदारनाथ में आपदा का मुख्य कारण वहां पर किया गया अनाप-शनाप निर्माण कार्य बताया गया वहीं रैणी आपदा के लिए बांध निर्माण के लिए खोदी जा रही सुरंगें जिम्मेदार थी। यदि राज्य सरकार ने जोशीमठ क्षेत्र में सुरंगें खोदने से पहले यदि वैज्ञानिकों की सलाह पर कार्य किया होता तो जोशीमठ जैसे नगरों को उजड़ने से बचाया जा सकता था।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि 4-5 माह पूर्व से त्रासदी के संकेत मिल रहे थे तथा स्थानीय लोगों द्वारा स्थानीय प्रशासन एवं राज्य सरकार से इसकी शिकायत भी की थी परन्तु उसके बावजूद धामी सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी और आज जब जोशीमठ का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया है तो सरकार हरकत में आ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जोशीमठ ही नहीं राज्य के लगभग 400 से अधिक आपदा संभावित गांव विस्थापन की बाट जोह रहे हैं परन्तु न तो केन्द्र की मोदी सरकार और न ही राज्य की धामी सरकार इन गांवों की पीडा को समझने का प्रयास करने की बजाय किसी बडी अनहोनी का इंतजार कर रही है। उन्होंने केन्द्र सरकार से हिमालयी राज्यों के लिए विकास की अलग नीति बनाये जाने की भी मांग करते हुए कहा कि हिमालयी राज्यों का देश ही नहीं विश्व पर्यावरण में भी अपना अलग महत्व है परन्तु इस प्रकार की विनाशकारी मानव जनित त्रासदियों के चलते इसका पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना है।


