बर्खास्त कर्मचारियों ने विधानसभा के गेट पर कैंडल जलाकर किया विरोध प्रदर्शन, 2016 से पहले कर्मचारियों पर विधिक राय लेने के मामले में गुमराह करने का लगाया आरोप

Dehradun Uttarakhand


देहरादून (Big News Today)

विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन 36 वें दिन भी जारी रहा| इस दौरान बर्खास्त कर्मचारियों ने विधानसभा पर उनके साथ छलावा करने का आरोप लगाया| कार्मिकों का कहना है कि जब कोटिया कमेटी ने 2001 से 2022 तक सभी नियुक्तियों को अवैध माना उसके बावजूद आनन फानन में स्पीकर ने 2016 के बाद के कार्मिकों पर तत्काल बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया जबकि उसके पहले के कार्मिकों की विधिक राय की रिपोर्ट छुपाकर अपनों को बचाने का कार्य किया गया|

उत्तराखंड विधानसभा में 2016 से पहले की बैकडोर भर्तियों के मामले में महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने स्पीकर ऋतु खंडूड़ी को कानूनी राय देने से किनारा कर लिया है। महाधिवक्ता का कहना है कि यह मसला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है, लिहाजा इस बारे में कोई राय व्यक्त करना उचित नहीं होगा.

कर्मचारियों का कहना है कि विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले में कोटिया कमेटी 2001 से 2022 तक हुई नियुक्तियों को अवैध ठहरा चुकी है। लेकिन केवल 2016 के बाद 250 तदर्थकर्मियों की बर्खास्तगी को लेकर भेदभाव के आरोप लग रहे हैं। 2016 से पहले मामलों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 9 जनवरी को महाधिवक्ता द्वारा विधिक राय विधान सभा को प्राप्त हो गई थी. नियमितीकरण पर महाधिवक्ता ने विधिक राय देने से इंकार किया हैं इसलिए कि मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, फैसला अब विधानसभा अध्यक्ष को ही करना है।

कर्मचारियों ने 2001 से 2015 तक के मामले में विधिक राय पर प्रदेश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ विधानसभा के गेट पर कैंडल जलाकर विरोध प्रदर्शन किया| इस दौरान हरीश भट्ट, राजकिशोर, उमेश चंद, पंकज सिंह धोनी, अमित ममगाईं, कैलाश अधिकारी, किरण, दया नगरकोटी, गीता नेगी, सरोज, मोनिका सेमवाल आदि समस्त बर्खास्त कार्मिक उपस्थित थे।