देहरादून। Big News today विधानसभा के मॉनसून सत्र विशेषाधिकार हनन के मामले में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने बहुत सख्त रुख अपनाते हुए उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी uttarakhand bureaucracy को विधायकों व जनप्रतिनिधियों का सम्मान करने के लिए एक कड़ा संदेश जारी किया है।
मामला इस हद तक गंभीर हुआ कि स्पीकर speaker uttarakhandने अपने कार्यालय में राज्य के मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू को बुलाकर कड़ी नाराजगी जाहिर की और विधायकों को प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पूरा सम्मान देने के निर्देश दिए हैं। स्पीकर ने कहा कि राज्य के अफसरों को जनप्रतिनिधियों को मिले जनादेश का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि किसी क्षेत्र से चुनाव जीतकर जनप्रतिनिधि बनते हैं।
इस अवसर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी स्पीकर के कक्ष में मौजूद रहे।
प्रीतम सिंह ने उठाया विशेषाधिकार हनन का मामला: कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह द्वारा सदन में विशेषाधिकार हनन का मामला उठाते हुए कहा कि राज्य की अफसरशाही बेलगाम हो रही है। ना तो विधायकों के फोन रिसीव किए जाते हैं और ना जनप्रतिनिधियों को तवज्जो दी जा रही है।

प्रीतम सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अधिकारियों द्वारा विशेषाधिकार हनन के मामले लगातार सदन के सामने रखे जा रहे हैं। नौकरशाही निरंकुश हो रही है, स्पीकर द्वारा मुख्य सचिव को निर्देशित किया गया है। देखते हैं इसका क्या असर होता है।
आईएएस-आईपीएस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को स्पीकर लिखेंगी पत्रः जनप्रतिनिधियों को किस तरह से सम्मान देना चाहिए और निर्वाचित प्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल को कैसे फॉलो करना चाहिए इसको लेकर स्पीकर ऋतु खंडूरी ने ट्रेनिंग संस्थानों को एक पत्र लिखने की बात कही है।
मेरी शक्ल अफसरों को पसंद हो या ना पसन्द हो कुर्सी को इज्जत देनी पड़ेगी: नौकरशाही के रवैये को लेकर मिल रही शिकायतों पर स्पीकर ऋतु खंडूरी ने विधानसभा में बहुत तीखे तेवर दिखाए हैं। स्पीकर ने मीडिया से बात करते हुए साफ शब्दों में कहा कि इस बात से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अफसरों को मेरी या किसी अन्य जनप्रतिनिधि की शक्ल पसंद है या नहीं है, लेकिन जिस कुर्सी पर निर्वाचित जनप्रतिनिधि बैठा है उस कुर्सी की इज्जत देनी पड़ेगी।

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने कहा है कि वे आईएएस एकेडमी मसूरी, आईपीएस एकेडमी हैदराबाद, पीसीएस-राज्य सेवा एकेडमी नैनीताल सहित अभियंताओं के संस्थानों को भी पत्र लिखेंगी। उन्होने कहा कि उनके सामने विशेषाधिकार हनन के कई मामले आ गए हैं। राज्य के अफसरों को समझना चाहिए कि ये बनाना स्टेट नहीं है कि जैसा मर्जी व्यवहार कर लें, ये देवभूमि है।

