चुनाव 2022: सूर्यकांत धसमाना के कैंट सीट से चुनाव लड़ने पर क्या बीजेपी के लिए होगी बड़ी चुनौती

Uttarakhand


देहरादून Big News Today

कांग्रेस से सूर्यकांत धसमाना को टिकट मिलने से बीजेपी के लिए क्या एक बड़ी चुनौती हो सकती है 2017 के चुनाव में भी हरबंस कपूर के सामने कांग्रेस से धसमाना खड़े हुए थे एक तरफ़ धसमाना ने बीजेपी पर आरोप भी लगाया है कि एक परिवार से टिकट देती है बीजेपी परिवाद को देती है बढ़ावा

देहरादून कैंट विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ है. इस सीट से बीजेपी के हरबंश कपूर लगातार आठ बार विधायक रहे हरबंश कपूर के निधन के बाद बीजेपी ने उनकी पत्नीसविता कपूर को कैंट सीट से टिकट दिया है सामने कांग्रेस के सूर्यकांत धसमाना भी है क्या सविता कपूर के लिए इस बार चुनाव में मुश्किल चुनौती भी होगी क्योंकि सूर्यकांत धसमाना लगातार क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए हुए है ।

देहरादून कैंट विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो उत्तराखंड राज्य का गठन होने के पहले ये विधानसभा सीट देहरादून शहर विधानसभा सीट के नाम से जानी जाती थी. इस विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हरबंश कपूर आठ दफे विधायक रहे थे. हरबंश कपूर का नाम उत्तराखंड की राजनीति में बेहद अहम माना जाता रहा है.

फ़ोटो: कैंट सीट से प्रत्याशी सूर्यकांत धसमाना , सविता कपूर

देहरादून कैंट (पुराना नाम देहरादून शहर) सीट से बीजेपी के हरबंश ने नौ बार चुनाव लड़ा. हरबंश पहली दफे 1985 के चुनाव में हार गए थे. इसके बाद वे लगातार आठ बार इस सीट से विधायक निर्वाचित हुए. 1996 के विधानसभा चुनाव के बाद हुए इस सीट का नाम देहरा खास विधानसभा सीट रखा गया था.

देहरादून कैंट विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में भी हरबंश कपूर लगातार नौवीं दफे चुनाव मैदान में थे. बीजेपी के हरबंश कपूर के सामने 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की ओर से सूर्यकांत धस्माना मैदान में उतरे. 2017 के चुनाव में बीजेपी के हरबंश कपूर को 41142 वोट मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के सूर्यकांत धस्माना को 24472 वोट. हाल ही में हरबंश कपूर का निधन हो गया था.

इस विधानसभा पर अब एक लोकप्रिय नेता ना रहने के बाद कई मायनों में सियासी समीकरण बदले हुए हैं. विपक्ष की ओर से अगर बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सूर्यकांत धस्माना एक बार फिर से इस विधानसभा में सक्रिय हैं. सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि अब तक इस विधानसभा के विधायक रहे हरबंश कपूर का कद काफी ऊंचा था. वह वरिष्ठ और अनुभवी नेता थे. उनके अनुभव और उनके कद की तुलना किसी और से करना उचित नहीं है.
सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि इस विधानसभा सीट पर भले ही हरबंश कपूर लगातार आठ चुनाव जीते हैं, लेकिन एक बार हारने के बाद किसी भी प्रत्याशी ने दोबारा इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ा. यही फर्क है कि वह 2017 में हारने के बाद भी लगातार इस विधानसभा के लोगों के बीच में सक्रिय हैं. उन्हें उम्मीद है कि इस बार लोगों का जनादेश बदलेगा.

कैंट विधानसभा में तकरीबन 1.45 लाख मतदाता हैं. कैंट विधानसभा एक ऐसी विधानसभा है, जिसमें फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, इंडियन मिलट्री अकेडमी, कैंटोनमेंट बोर्ड, वाडिया इंस्टीट्यूट सहित कई केंद्रीय शिक्षण और शोध संस्थान आते हैं. दूसरी तरफ कैंट विधानसभा में वसंत बिहार जैसी पॉश कॉलोनियां भी मौजूद हैं