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जिस फरियाद को पूरा करने की घोषणा त्रिवेन्द्र नहीं कर पाये उसे मुख्यमंत्री पुष्कर पूरी कर दें, तो लगायेंगे खुशी की जागर और करेंगे सीएम का भव्य स्वागत- पाण्डे । जानिए क्या है वो फरियाद –
न्याय के प्रतीक गोलज्यू के दरबार में 19 अक्टूबर 2018 को “विकास में बाधक हड़तालों के प्रति जवाबदेही ” हेतु लगी एक फ़रियाद को पूरा कराने के लिए गत वर्ष कार्मिक एकता मंच द्वारा गंगोत्री के जल कलश के साथ निकाली गई एकता यात्रा का समापन 2 अक्टूबर को रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्थल पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी ने किया था । उनके निर्देश पर ही 15 अक्टूबर को शासन में इस विषय को लेकर उच्च स्तरीय बैठक भी हुई और इसके बाद एक बार वे मन्दिर में आये भी लेकिन विषय से सहमत होने के बाद भी जन जन के हित से जुड़ी उक्त फरियाद को पूरा करने की ऐतिहासिक घोषणा करने से चूक गए ।
हड़तालों के प्रति जवाबदेही के सवाल को लेकर मुखर श्री पाण्डे के अनुसार हड़ताल को लेकर उच्च न्यायालय में लगी एक जनहित याचिका संख्या 115/18 के परिप्रेक्ष्य में कोर्ट द्वारा 29 अगस्त 2018 को ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि हर विभाग में शिकायत निवारण समिति का गठन कर संवाद शून्यता को समाप्त किया जाय । प्रमुख सचिव कार्मिक द्वारा 13 दिसम्बर 18 को सभी विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कर कोर्ट के आदेश का परिपालन करने के आदेश देते हुए कहा कि शिकायत निवारण समिति की हर त्रैमासिक बैठक में संघ प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाय । शासन ने यह आदेश जारी कर उच्च न्यायालय को तो सूचित कर दिया कि परिपालन कर दिया है लेकिन यह परिपालन कागजों तक ही सीमित रहा । धरातलीय स्थिति यह है कि अधिकांश विभागों में शिकायत निवारण समिति का गठन ही नहीं हुआ है और कहीं गठित हैं भी तो नियमित बैठक नहीं हो रही हैं।
…. एकता मंच के संस्थापक एंव उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चन्द्र पाण्डे के अनुसार 19 मार्च 2020 को मन्दिर में लगी एक जागर में गोल ज्यू के डंगरिया द्वारा उक्त फरियाद के पूरा नहीं होने पर राज्य में उथल-पुथल होने का जो बचन दिया था उसके अनुरूप अब तक राज्य में सरकारें बदल गई , गवर्नर बदल गये और ब्यूरोक्रेट्स बदल गये लेकिन अभी तक किसी ने भी उक्त विषय की गम्भीरता को समझने की जरूरत नहीं समझी । उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उक्त फरियाद को पूरा करने की घोषणा करने के तुरंत बाद अल्मोड़ा स्थित गोलज्यू के मन्दिर में खुशी की जागर लगेगी और मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत भी किया जायेगा ।

अब देखने वाली बात यह है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जो नहीं कर पाये उसे पूरा करने की घोषणा कर मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी आखिर कब उथल-पुथल पर पूर्ण विराम लगाते हैं ..?