“हिमालय संरक्षित रहेगा तो जल, जंगल और जीवन रहेगा” – त्रिवेन्द्र
नई दिल्ली में लघु फिल्म ‘हिमालय की हृदय विदारक पुकार’ का विशेष मंचन, पर्यावरण संरक्षण पर हुआ विचार-मंथन
BIG NEWS TODAY : (नई दिल्ली, 17 अगस्त 2025) । हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र, वन अग्नि की चुनौती और पर्यावरण संरक्षण जैसे संवेदनशील विषयों पर आधारित लघु फिल्म ‘हिमालय की हृदय विदारक पुकार’ का विशेष मंचन राजधानी दिल्ली में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में हरिद्वार सांसद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और उन्होंने अपने विचारों से सभी को उद्वेलित किया।

सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा,
“हिमालय केवल भूगोल नहीं, बल्कि हमारी जीवन रेखा है।”
“हिमालय संरक्षित रहेगा तो जल, जंगल और जीवन भी सुरक्षित रहेंगे।”
उन्होंने इस लघु फिल्म को “भावुक और विचारोत्तेजक” करार देते हुए कहा कि इसमें हिमालय की पीड़ा और पर्यावरणीय चुनौतियों को जिस गहराई से दर्शाया गया है, वह सभी को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करता है।
रावत ने जोर देकर कहा कि वन अग्नि की समस्याओं से निपटने के लिए जनजागरूकता और सामूहिक प्रयास ही एकमात्र प्रभावी समाधान हैं। उन्होंने सभी हिमालय प्रेमियों से आह्वान किया कि वे हिमालय की रक्षा और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए एकजुट होकर काम करें।
वक्ताओं ने दिए सुझाव, उठी ठोस रणनीतियों की मांग
इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने भी पर्यावरण संरक्षण, वन अग्नि नियंत्रण, हिमालयी पारिस्थितिकी संतुलन और जलवायु परिवर्तन के खतरों पर अपने विचार साझा किए। सभी ने एकमत से इस बात को स्वीकारा कि हिमालय की रक्षा के बिना भारत का भविष्य सुरक्षित नहीं रह सकता।
आयोजन को लेकर आयोजकों की सराहना
सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कार्यक्रम के आयोजकों महावीर राधा जांगड़ा और थ्री मस्किटर्स मीडिया को इस महत्वपूर्ण विषय पर सार्थक पहल के लिए शुभकामनाएं और बधाई दी।

प्रमुख उपस्थित अतिथि
कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित हस्तियों और पर्यावरण प्रेमियों की उपस्थिति रही, जिनमें शामिल थे:
- डॉ. भरत पाठक — नमामि गंगे परियोजना से जुड़े पर्यावरण विशेषज्ञ
- डॉ. अपर्णा सोपोरी — समाजसेवी और शिक्षाविद
- डॉ. ऋचा सूद — शिक्षाविद
- पद्मश्री कमलिनी अस्थाना और पद्मश्री नलिनी अस्थाना — अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथक नृत्यांगनाएं और पर्यावरण संरक्षकों की प्रेरणा स्रोत
निष्कर्ष
यह आयोजन केवल एक फिल्म प्रदर्शन न होकर, प्रकृति प्रेमियों, नीति निर्माताओं और जागरूक नागरिकों के लिए एक चेतावनी और आह्वान था कि हिमालय को बचाने के लिए अब और देर नहीं की जा सकती। जैसा कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा —
“प्रकृति की रक्षा ही मानवता की रक्षा है।”