पंचायत चुनावों से रोक हटाने की हाईकोर्ट से सरकार ने की मांग, कहा कि “कम्यूनिकेशन गैप” के कारण गजट नोटिफिकेशन नहीं कर सके प्रस्तुत

Dehradun Delhi Mussoorie Uttarakhand


न्यायालय को सरकार ने बताया कि पंचायतों में आरक्षण नियमावली का गजट नोटिफिकेशन 14 जून को हो गया था, लेकिन “कम्युनिकेशन गैप” के कारण गजट नोटिफिकेशन को माननीय हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई के समय प्रस्तुत नहीं किया जा सका था।

File Photo : सचिवालय भवन देहरादून।

BIG NEWS TODAY : (नैनीताल / देहरादून, 24 जून)।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर हाईकोर्ट नैनीताल की रोक लगाने के बाद उत्तराखंड सरकार हाईकोर्ट की शरण में मंगलवार को पहुंची है और चुनाव प्रक्रिया से रोक हटाने की मांग की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड सरकार ने 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर लगी रोक हटाने के लिए मंगलवार को फिर से हाई कोर्ट का रुख किया। न्यायालय को सरकार ने बताया कि पंचायतों में आरक्षण नियमावली का गजट नोटिफिकेशन 14 जून को हो गया था, लेकिन “कम्युनिकेशन गैप” के कारण गजट नोटिफिकेशन को हाई कोर्ट के समक्ष सुनवाई के समय प्रस्तुत नहीं किया जा सका था।

उत्तराखंड राज्य के कुल 13 जनपद हैं, किंतु हरिद्वार जनपद में पंचायत चुनावों की टाइमिंग में करीब एक वर्ष की देरी काफी  समय से चली आ रही है। इसलिए हरिद्वार को छोड़कर बाकी 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की प्रक्रिया शुरु हो चुकी थी जिसपर हाईकोर्ट का स्टे हो गया है। पंचायत चुनावों पर लगी रोक को हटाने की मांग करते हुए राज्य सरकार की ओर हाईकोर्ट के समक्ष मामले में बताया कि 9 जून 2025 को पंचायतों का आरक्षण निर्धारण से संबंधित बनाई गई नियमावली का गजट नोटिफिकेशन 14 जून 2025 को हो गया था। लेकिन “कम्युनिकेशन गैप” के कारण गजट नोटिफिकेशन को हाई कोर्ट के समक्ष सुनवाई के समय प्रस्तुत नहीं किया जा सका था ।

राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर की की ओर से गजट नोटिफिकेशन की प्रति हाई कोर्ट नैनीताल के समक्ष पेश कर दी गई है। जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने पंचायत चुनाव सम्बन्धी सभी याचिकाओं की सुनवाई को कल बुधवार 25 जून अपराह्न दो बजे का समय निर्धारित किया है।

आपको बता दें कि पंचायत चुनावों से संबंधित दीपिका किरौला व अन्य की याचिकाएं भी मंगलवार को सुनवाई के लिए लगी थी। लेकिन हाई कोर्ट ने इन सभी की एक साथ सुनवाई का निर्णय लिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बागेश्वर निवासी गणेश कांडपाल व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार की ओर से 9 जून व 11 जून 2025 को जारी नियमावली को चुनौती दी थी। सरकार ने इस नियमावली में राज्य में अब तक के आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित कर दिया था और आरक्षण का नया रोस्टर जारी कर उसे पहली बार वर्तमान चुनाव से लागू माना। याचिकाकर्ता के मुताबिक एक तरफ सरकार का यह नियम कोर्ट के पूर्व में जारी आदेश व पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 126 के विरुद्ध है।