BIG NEWS TODAY : देहरादून। हरिद्वार नगर निगम में कूड़े की जमीन को करोड़ों में खरीद कर वारे न्यारे करने के हाई प्रोफाइल चर्चित मामले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की जांच रिपोर्ट शासन को मिल गई है। आईएएस अफसर रणवीर चौहान ने गुरुवार को अपनी करीब 100 पन्नों से भी अधिक की जांच रिपोर्ट शहरी विकास विभाग के सचिव वरिष्ठ आईएएस अफसर नीतेश झा को सौंप दी है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक जांच रिपोर्ट में 2 आईएएस एवं 1 पीसीएस अफसर को जमीन खरीद घोटाले के मामले में लापरवाही व अनियमितताओं का दोषी करार दिया गया है। हरिद्वार नगर निगम की मेयर किरण जैसल की शिकायत पर इस हाई प्रोफाइल जमीन खरीद घोटाले की शिकायत मिलने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर जांच कराई गई है।
क्या है पूरा मामला
हरिद्वार नगर निगम द्वारा भूमि खरीद का मामला पिछले वर्ष तब का है जब निकायों के चुनाव से पहले निकायों में प्रशासक नियुक्त किए गये थे। उस समय निकाय नगर आयुक्त वरुण चौधरी (अब शासन में अपर सचिव) को नगर निगम का प्रशासक नियुक्त किया गया था। जानकारी के मुताबिक, पिछले वर्ष करीब 15 करोड़ रुपये की कृषि योग्य भूमि को लैंड यूज कमर्शियल के आधार पर 35 बीघा भूमि नगर निगम ने करीब 55 करोड़ रुपये की खरीदी।
इतना ही नहीं , भूमि खरीदने का ना तो कोई उद्देश्य स्पष्ट था, ना ही इतनी बड़ी कीमत की भूमि खरीदने के लिए शासन में प्रस्ताव दिया गया और ना ही मानकों और तमाम नियमों का पालन किया गया। सस्ती जमीन को अधिकारियों द्वारा आपसी मिलीभगत करके पहले महंगा किया गया और फिर महंगे दामों में तमाम नियम शर्तों को नजरअंदाज करके खरीद लिया। इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं।
मेयर किरण जैसल द्वारा सीएम से शिकायत पर उछला मामला
नगर निगम के चुनाव संपन्न होने के बाद हरिद्वार नगर निगम की मेयर किरण जैसल ने इस भूमि खरीद घोटाले की शिकायत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से की तो ये मामला सुर्खियों में आया। मुख्यमंत्री ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में इसी मई के महीने की शुरुआत में एक इंजीनियर सहित चार कर्मचारियों को दोषी पाते हुए सस्पेंड भी किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री के आदेश पर हुई जांच के दौरान जांच अधिकारी रणवीर चौहान ने हरिद्वार जाकर मौका मुआयना किया और दस्तावेज भी टटोले थे। उन्होंने जांच के दौरान करीब दो दर्जन अधिकारियों, कर्मचारियों और इस मामले से जुड़े अन्य लोगों से जानकारी ली थी। जिसमें डीएम कर्मेंद्र सिंह, एसडीएम अजय वीर सिंह, और शासन में अपर सचिव (तत्कालीन प्रशासक) वरुण चौधरी से भी इस मामले में जानकारी ली थी। माना जा रहा है कि अब जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी अधिकारियों पर सरकारी पैसे के दुरुपयोग के लिए गाज गिर सकती है।