डॉ. निशंक के गुरु प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. अरुण का हुआ निधन, मुख्यमंत्री धामी ने व्यक्त की शोक संवेदनाएं

Dehradun Delhi Haridwar Mussoorie Uttarakhand


BIG NEWS TODAY : उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के जानेमाने साहित्यकार डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ का निधन हो गया है। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है। जनपद हरिद्वार के कनखल निवासी योगेंद्र नाथ अरुण का करीब 85 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ है। उनके देहांत पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित तमाम गणमान्य लोगों ने अपनी शोक संवेदना व्यक्त की हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने व्यक्त किया शोक : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा हिंदी साहित्य के प्रखर विद्वान, सरल एवं सहज व्यवहार के धनी डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ जी का जाना हिंदी साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। मुख्यमंत्री ने ईश्वर से पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।

डॉ. रमेश पोखरियाल के थे साहित्यिक गुरु : साहित्यकार डॉ. योगेंद्र नाथ अरुण उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे, हरिद्वार सांसद और केंद्र में मंत्री रहे साहित्यकार डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के साहित्य गुरु रहे हैं। उनके निधन पर रमेश पोखरियाल निशंक ने अपनी शोक संवेदनाएं भावपूर्ण रूप से व्यक्त की हैं। अपनी सोशल मीडिया हैंडल पर निशंक ने लिखा है कि

” परम श्रद्धेय, मनीषी साहित्यकार, भाषाविद् एवं भारतीय सांस्कृतिक चेतना के अग्रदूत डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ जी का निधन अत्यंत शोक दायक है। यह केवल साहित्य-जगत की अपूरणीय क्षति नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा के स्तंभ का विलय है जिसकी रिक्तता मेरे हृदय में गहरी पीड़ा और मौन आर्तता के रूप में व्याप्त है।
‘अरुण गुरु जी’ ने अपने जीवन को भारतीय ज्ञान परंपरा, भाषा और संस्कृति की सेवा हेतु पूर्णतः समर्पित कर दिया। वे केवल एक लेखक नहीं, बल्कि एक युग-द्रष्टा थे, जिनकी वाणी में वेदों की गूंज, लेखनी में कालजयी दर्शन और विचारों में युगों को दिशा देने की क्षमता थी। उनका व्यक्तित्व संयम, सहजता और सत्य के प्रकाश से ओतप्रोत था।

आज जबकि युवा पीढ़ी दिशा की खोज में है, ‘अरुण गुरु जी’ का जीवन हमें यह सिखाता है कि आत्मविकास, सांस्कृतिक चेतना और कर्मनिष्ठा से कैसे समाज और राष्ट्र के निर्माण में योगदान दिया जा सकता है। वे उन दुर्लभ व्यक्तित्वों में थे जिन्होंने जीवन को एक साधना के रूप में जिया निस्वार्थ, नि:स्पृह और आदर्शों से प्रेरित।

उनकी स्मृतियाँ, सिद्धांत और साहित्यिक धरोहर, आने वाले समय में भी युवाओं के लिए आलोक स्तंभ की भांति मार्गदर्शन करती रहेंगी। भगवान बद्री केदार जी से प्रार्थना है कि वे इस पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और हम सभी को इस गहन दुःख को सहन करने की शक्ति दें। ॐ शांति। “ :- डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, साहित्कार एवं पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद